Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 301
________________ ४८ तोव चयोरि सहोयर भायर ताहं सयाउ राउ पहिलारउ दीहराउ णिउ गाउ चयारि-वि धाइय संदणेहि सोवण्णेहि चामरेहि चामीयर-दंडेहिं तहि जेठाणुजेट्ठ-कमवत्तेहिं विद्ध धणंजउ दस-सय-वाणेहि तोमरेण उरे भिण्णु सयाएं रिटणेमिचरिउ. [४] जिम्मज्जाय जाय णं सायर अवुआउ रण-भर-धुर-धारउ जाई ण समरे मल्लु तिउरारि-वि छत्ताह पंडुर-पड-पच्छण्णेहि ४ अमर-सरासण-सम-कोयंडे हिं विहि-मि समच्छरु रणे पहरंतेहि छिपण तेण तेत्तिहि पमाणेहि णं तरु कंपाविउ दुव्वाएं अमर घत्ता अणुजेठेण सुहड सहले णरु दूसहु जे समाहउ सुलेहि । मुच्छा-विहलंघल गय-सण्णउ अज्जुणु थिउ धय-थंभे णिसण्णउ ॥ णिएवि अवत्थ पुरन्दर-तोयहो पुण्ण मणोहर कउरव-लोयहो पंडव खयहो जाउ कलि-रोहणु भुंजउ सयलु पुहवि दुज्जोहणु जाउ पसाएं कुरु-कुलु गंदणु वसुमइ-वसु-भर-भारिय-फंदणु एह जो संख-चक-गय-धोरउ एवंहि कहि-मि जोउ मायारउ ४ कलयलु किउ बहु णरवर-विंदें सई सारंगु लयउ गोविन्दे पूरिउ पंचयण्णु रव-संदणु दारुव वाहि वाहि तहि संदणु अच्छइ जहिं परिवढिय-विग्गहु मई मारेवउ पाउ जयबहु जाम ण दुकइ रवि अस्थवणहो जाम ण इंदु जाउ णिय-भवणहो ८ घत्ता ताम पइज्ज णेमि णिव्वाहहो एत्तिउ णवर एक्कु अवरत्तउ देमि वसुंधर पंडव-णाहहो । जं ण णरेण दिछु पहरंतउ ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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