Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 305
________________ रिटुमिचरिउ [१२] कंचण-कवउ दिव्वु आइज्झहि जेण रणंगणे सुर-वि णिसिज्झहि इंदहो तणउ पत्तु अंगिरसहो पुणु सुमरंति(?) पुणु सिहि वइसहो पुणु महु मइ-मि दिण्णु तहो पत्थिव णर-णारायण जिणहि गराहिव दिव्वु सरासणु दिव्व महा-सर दिव्वु तोणु लइ कुरु-परमेसर ४ सायर लोयवाल णइ गिरिवर रिसि वसु गह दिस चंद-दिवायर सासण-देवयाउ आहंडलु सव्वई देतु णराहिव मंगलु तेण-वि लइयई कुरुवइ-हत्थहो गउ दुज्जोहणु पच्छ ए पत्थहो दोणु-वि वूह-वारे ठिउ जावहिं पंडव-सेण्णु पराइउ तावहि घत्ता बाहिय-रह-गय-तुरयाणीयइ आहय-तूरइ पहरण-वीयई। किय-कलयलई रुद्ध-रण-मग्गई पंडव-कुरुव-वलइ पडिलग्गई। ९ १३] सव्वारोहु करेवि स-वाहणु धाइउ तिहि मुहेहि कुरु-साहणु पहिलए गुरु कियवम्मु दुइज्जए मुहे जलु संवु परिठिउ तिज्जए तो स-सरासण-कर-परिहत्थे जिय विदाणुविंद रणे पत्थे जमलेहि सउणि-मामु ओसारिउ सच्चइ दूसासणेण णिवारिउ सरलु जुहिट्ठिलेण सोवण्णेहिं पहउ पिसक्केहि सत्तावण्णेहि तहि मदाहिव-तव-सुय-संगरे कियवम्मेण दिण्णु रहु अंतरे चूरेवि चंदिर-चमु वीसत्थउ स-रहसु स-सर-सरासण-हत्थउ । धाइउ भीमसेणु जरसंधहो णं गयवरु गयवरहो मयंधहो घrt तो पारावयास-सोणासह घोरागारे समरे आभिट्टई धुय-केसर-केसरि-संकासह । धणु-वावारहो अवसरे फिट्टई ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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