Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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तो खयकाल - दूय-पडिविंवे' सो-वि अल्बुसेण अ-पमाणे हि जं जं करइ रूड भीभंगड
तो पंडव-पत्थिवेहि पयन्तें
वाण-सएण दुमय-दायाएं
राय - चउत्थए भीमो णंदणेण लल्लक्के हिं
तेण वि ते जमदंड - समाणेहिं
विहिं सट्ठ
सव्वेहिं विद्धु पडोव अरुणोकिउ रयणीयरु
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घन्ता
दीहरणाराय - सहासेहि । णं फग्गुणु फुल्ल - पलासेहि ॥
afts असेसेहिं एक्कु जणु सयल-बिसरेहिं गया उसेण तो फुरंत - णक्खत्त-समाणेहिं भीमहो पंचवीस सर पेसिय तत्र - सुय-पाय-पओरुह - सेव हो भीम - सुयहो इस पंच विसब्जिय पुणु पंचहि सत्तहिं विग्भाडि उत्तम - वेग्गु करेपिणु रहवरे धुरहिं धुरग्गु देवि स - विसेसें
लग्गु भमाडण मुयहं घुडुक्कर
बीसहिं सरेहिं चिदु हइडिवें चित्तभाणु- सम-प-वाणेहि तं तं फुसइ रक्खु रोसंग उ मिलेवि असेसेहि लइड अखते वहिं विओयरेण पिहि-काएं पंचमेण पंचहि सर- लट्ठिहिं पंचेहि सत्तरिहिं पिसक्के हिं ताडिय पंचहि पंचहि वाणेहिं
रिट्ठणेमि चरि
[१३]
( दुबई )
तो-वि तासु ण-वि फुट्ट मणु । छाइय गिरि जिह णव - पाउसेण ॥ १ विज जुहिहिल सट्ठिहिं वाणेहि तिहतरि णउलंगे णिवेसिय लाइय पंच वाण सह एव हो तेण वि ते वारहहिं परज्जिय छिण्णु महावउ सारहि पाडिउ घाइड भीमसेणु तहिं अवसरे घरि अलंबु वाहु - पएसें जाम वइरि जोवेण त्रिमुक्कड
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८.
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