Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 325
________________ ७२ तो खयकाल - दूय-पडिविंवे' सो-वि अल्बुसेण अ-पमाणे हि जं जं करइ रूड भीभंगड तो पंडव-पत्थिवेहि पयन्तें वाण-सएण दुमय-दायाएं राय - चउत्थए भीमो णंदणेण लल्लक्के हिं तेण वि ते जमदंड - समाणेहिं विहिं सट्ठ सव्वेहिं विद्धु पडोव अरुणोकिउ रयणीयरु Jain Education International घन्ता दीहरणाराय - सहासेहि । णं फग्गुणु फुल्ल - पलासेहि ॥ afts असेसेहिं एक्कु जणु सयल-बिसरेहिं गया उसेण तो फुरंत - णक्खत्त-समाणेहिं भीमहो पंचवीस सर पेसिय तत्र - सुय-पाय-पओरुह - सेव हो भीम - सुयहो इस पंच विसब्जिय पुणु पंचहि सत्तहिं विग्भाडि उत्तम - वेग्गु करेपिणु रहवरे धुरहिं धुरग्गु देवि स - विसेसें लग्गु भमाडण मुयहं घुडुक्कर बीसहिं सरेहिं चिदु हइडिवें चित्तभाणु- सम-प-वाणेहि तं तं फुसइ रक्खु रोसंग उ मिलेवि असेसेहि लइड अखते वहिं विओयरेण पिहि-काएं पंचमेण पंचहि सर- लट्ठिहिं पंचेहि सत्तरिहिं पिसक्के हिं ताडिय पंचहि पंचहि वाणेहिं रिट्ठणेमि चरि [१३] ( दुबई ) तो-वि तासु ण-वि फुट्ट मणु । छाइय गिरि जिह णव - पाउसेण ॥ १ विज जुहिहिल सट्ठिहिं वाणेहि तिहतरि णउलंगे णिवेसिय लाइय पंच वाण सह एव हो तेण वि ते वारहहिं परज्जिय छिण्णु महावउ सारहि पाडिउ घाइड भीमसेणु तहिं अवसरे घरि अलंबु वाहु - पएसें जाम वइरि जोवेण त्रिमुक्कड For Private & Personal Use Only १० ४ ८. www.jainelibrary.org

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