Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

Previous | Next

Page 324
________________ सम संधि तुहुं सो भीमु हिडिव - पियारउ तुहुं सो भीमु भीम - किम्मीरहो तुहुं सो भीमु जडासुर-धायणु तुहुं सो दूसासणु मारेसाह तुहुं सो रक्खस- डामरु णवर महुत्तणए x x धणु-ण-संधुक्कियउ धय- धूमावलि - भीसावणड त्रिद्धु अलंबुसु एक्के वाणें खणे राहुखणे मत्त - - महाकरि खणे आरण्ण - महिसु खणे तरुत्ररू खणे मयारि सुखणंतरे सायरु चितेवि पंडव-कुल- पायारे' णिसियर - णाहहो णट्ठउ मायउ कह कह व सो मरणु ण पत्तउ ताम स-पहरणु अग्गए ढुक्कड प्रभणिउ आरिससिंग रणे कुरु- पंडब णियंताह कुरुवइ-तव-सुय-किंकरहं जाउ महाहर दुकाएं Jain Education International टुहुं सो भीमु वगासुर - मारउ जीविउ जे णिउ मड्ड सरीरहो तुहुं सो कीया कुल-विणिवायणु तुहुं कुरु - णाहहो मउडु मलेसहि घत्ता उब्भडु भज्जद्दि भड - वाएण । मुच्छाविउ एक्के घाएण ॥ त्त गयउ ण केण वि पायउ दोणहो पासु पइछु तुरंत णं आयासहो पडिउ घुडुक्कर [ ११ ] (दुबई) वाण - फुलिंगा लुंखियउ । पज्जलियउ भीम - हुवासउ || णवर वियंभिउ विज्जा-पाणे' खणे सद्दूल रिक्खु खणे केसरि खणे कुल-पव्वउ खणे वइसारु ४ खणे ससहरू खणे होइ दिवायरु विद्ध महाउहेण तट्ठारे घन्ता बलु बलु कहिं एवहिं गम्मइ । विहि एक्कु रणंगणे हम्मइ ॥ [ ४२ ] ( दुबई ) माया - रूव भयंकरह । आरिसलिंग - घुडुक्काहूँ || -- ७१ For Private & Personal Use Only ८ १० १ ८ १ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 322 323 324 325 326 327 328