Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 303
________________ रिट्ठणेमिचरिउ [4 विधइ पत्थु णियय-विण्णाणेहि सरु एक्केक्कु करइ वहु-वाणेहि कुंजर वीस सहासय पोय इ(!) जमलीहोइ जणद्दणु जोयइ जेम तुरंगम तेम गरिद-वि तेम पयस्थ महा-भड विंद-वि किर होसंति कहि-मि खायंतहो सुवालक्खइं(?) कयई कयंतहो कत्थइ हय-गय-सुहड- सहासेहि पुंजोकयइं सेल-संकासेहि कत्थइ णर-सर-विसहर-भीयई गट्टउ दिसउ लएवि अणीयई कथइ सर-विभिण्ण गय गयवर गय-पय-सय-सचूरिय हयवर रह रहंग रंगाविय रहबर हय-खुर-खुण्ण ण उट्ठिय किंकर पत्ता एम पलायमाण वहु मारिय रह गय तुरय जोह वइसारिय । किय रण-महि वल-पड-पंगुत्तो पाडिय जमेण णाई समसुत्ती ॥ ८ ९ तहि अवसरे जल्लंधु समुठिउ गं सवड-मुहु एक्कु परिटिउ पीडिउ पत्थु तेण सर-जाले गं गंदंतउ देसु दुकाले छिण्णु णरेण-वि णिय-विण्णाणेहि गिलिय णाई झस झस-संघाएहि रहवरोवकरणइणिठवियई सव्वइ रण-वसुमइ पवियइ घाइउगय-विहत्थु गोविंदहो णावइ मत्त गइंदु मइंयहो देइ णदेइ घाउ किर जावहि विजएं लउडि वियोरिय तावहि अवर गयासणि लइय तुरते णाललाविय जोह कयंते सवि णाराय-हासेहिताडिय विहिं वे वाहु खुरुप्पे पाडिय अवरे तोडिउ सीसु स-कुंडलु णं तरु-तल-खुंटहो परिणय-फलु घत्ता पडेवि ण इच्छिउ थिउ गयणंगेण णर-णारायण धरेवि रणंगणे । स-रहसु समुहु स-मच्छरु धावइ गय-महु चंदाइच्च हु णावइ ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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