Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 320
________________ तेसठिमो संधि १ (दुवई) लक्खई जेण परजिज यई कियई मडाफर-वज्जियई। तहो दह-हरिणाहय-करिहे धुर धरंति कउ केसरिहे ॥ मुहु मुहु पंचयण्णु ओरंजइ मुहु मुहु गुणु गंडोवहो रुंजइ मुहु मुहु पंचयण्णु जगु वहिरइ मुहु मुहु गुणु गंडीवहो वियरइ मुहु मुहु पंचयण्णु भेसावइ मुहु मुहु गुणु गंडीवहो तावइ एम महाहउ जाउ भयंकर वद्धइ कुरु-पर-गरह परोप्परु धाइउ ताम दोणु दुप्पेच्छह उपरि सोमय-सिंजय-मच्छह कइकय-पंडु-पुत्त-पंचालह अबसेसह-मि महा-महिपालह जाउ अजायसत्त-किविकंतह संगरु वग्धदंत-सिणिपुत्तहं भीमालंबुस-उल-विगणहै। धाइय अण्ण रणंगणे अण्णहं ४ घत्ता माणियई जुज्झई पंडव-कउरव-सामंतहं । जायई णिम्मज्जायइ' गंजमहं परोप्परु-खंतह ॥ [५] (दुबई) करिणी-विरह-विसंठुलई जस-विसकंदुकंठुलई। एकमेक-वहणाउलई रण-वणे भिडियई करि-कुलइ ॥ १ तो तव-सुएण णवहिणाराएहि तच्छिउ कुरु-गुरु णवहिजे धाएहिं सइ-संजमिअक्खय-तोणीरें दोणे सधर-धराधर-धीरे पंचवीस सर सुक्क खणंतरे . पडिवउ वीसहि विद्ध थणंतरे ४ पंडव-णाहु महावइ पाविउ सुर-णिहाउ संदेहे चडाविउ वणिय तुरंगम सारहि ताडिउ करहरभाणु महाधउ पाडिउ. विणि वार वाणासणु खंडिउ णिग्गुण दुक्कलत्तु जिह छडिउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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