Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 310
________________ बासठिमो संधि रह तुरय गइंद णरिंद सव्व •सर-लक्खेहि छाइउ सबसाइ ओए-वि अवर-वि किय-गरुय-गव्व णव-पाउस-मेहेहि विंझु णाई घत्ता एक्कु धणंजउ रिउ बहुअ एत्तियह-मि धरेवि ण सक्किउ । मज्झे गइंदहं मत्ताई पंचाणणु जिह परिसक्किउ ॥ १४ (मात्रा) कण्ण-चामर-वइजयंतीउ पक्खरय-घंटा-जुयई पुरउ गेज्ज-णक्खत्तमालउ । सहुँ करिहिं कडंतरिय पाय-रक्ख-पय-रक्ख-सुहडउ ।। (मंजरी) छिण्ण टंक हय हयवर-गय-रह-चक्कइ । गर-णरिंद-किंकर-कर-सिर-सीसक्कइ । अणवस्य-णीरे परिहत्थे पत्थे गंडीउ वियंभइ वाम-हत्थे णेयरु करु दोसइ तेत्थु काले तोणोर-सरासण-अंतराले हरि एकक वार ओससइ जाम सय-वार करइ संधाणु ताम अपमाण वाण पेसिय णरेण णं चउ-दिसु किरण दिवायरेण तहो थायहो पउ-वि ण देइ एक्कु जुत्तारेहि जोइउ एक्कमेक्कु ण तुरंगु ण संदणु ण-वि गइंद ण पडाय ण छत्त णे णरवरिंद १० जसु भीम-भुवंगम-दीहरंग दस वीस तीस तोमर ण लगग तो सूएहि कुरु-णर-घायणाहं रह ढोइय णर-णारायणाई आरूढ पणछइ साहणाई पायत्थई छडिय-वाहणाई घत्ता ताम पराइउ कुरुव-पहु मंभीस देतु णिय-भिच्चहं । अग्गए विहि-मि परिदठियउ णं णव-घणु चंदाइच्चहं ॥ १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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