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वार्तागत-विषयानुक्रम
१. वात वगसीरांमजी प्रोहित-हीरां की
विषय
पष्ठाङ्क
८-६
१. गणपतिध्यान, उदयपुर-वर्णन, राणा भीम तथा कोटयधीश लिषमीचंद का
परिचय एवं हीरां की उत्पत्ति। २. होरां की बाल्याद्यवस्था का वर्णन, लिखमीचंद द्वारा हीरा की सगाई का
टीका रामेसुर ब्राह्मण के साथ सेठ कपूरचंद के पुत्र माणकचंद के लिये अहदाबाव भिजवाना, हीरां का विवाह एवं अहमदाबाद के लिये उसकी विदाई, केसरी बडारण के समक्ष हीरां द्वारा अपना दुःखवर्णन, हीरां का पुनः उदयपुर-प्रागमन तथा अपनी सहेलियों के समक्ष विरह-दुःखवर्णन, नरवर
(निवाई)निवासी बगसीराम प्रोहित का वर्णन । ३. बगसोरांम का अपने ससुराल खूबी जाना, बूंदीनगर-वर्णन, बूंदी में प्रोहित
द्वारा सिंह की शिकार करना। ४. प्रोहित का उदयपुर की ओर प्रस्थान, सहेलियों की बाड़ी का वर्णन, प्रोहित एवं उसके साथी वीरों की वीरता का वर्णन ।
१०-१२ ५. हीरां का गौरीपूजनार्थ प्राभूषण-धारण, उदयपुर की गौरी माता की
सवारी का पीछोले-प्रागमन, हीरां की सहेलियों की शोभा का वर्णन, नील
विडङ्ग अश्व पर प्रारूढ प्रोहित का अपने सुभटों सहित पीछोले-प्रागमन । १३-१७ ६. प्रोहित एवं हीरां का नयन-मिलन, केसरी बडारण द्वारा लालस्यंघ से प्रोहित
का परिचय प्राप्त कर हीरां को बतलाना, होरा का प्रोहित के प्रति केसरी के साथ पत्र-प्रेषण, केसरी द्वारा प्रोहित-कथित उत्तर से हीरां को अवगत कराना।
१८-२० ७. सन्ध्यासमय-वर्णन, हीरां-महल-वर्णन एवं आभूषण-धारण, होरां द्वारा
प्रोहित को बुलाने केसरी को भेजना, केसरी के साथ प्रोहित का महल की प्रोर गमन एवं हीरा के साथ सुख-विलास, प्रभात का वर्णन एवं प्रोहित का हीरां को अपने साथ ही रखने का वचन देकर वापस सहेलियों की बाड़ी में माना।
२१-२६ ८. राणा भीम का वर्णन, राणा का बगसीरांम को मिलनार्थ निमन्त्रण तथा
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