Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 289
________________ २२० ] क्रमांङ्क २७५ सुण बडारण केसरी २७६ सुण बडारण केसरी २७७ सुभटां जसा समाज मैं २७८ सुभट थट सनमुष मले २७६ सुष सज्या तंडव सुणी २८० सुष सज्या समक्षं नहीं २८१ सुष सज्या संख्या समय २८२ सूती सहै सहैलिया २८३ सोहै जहा जेहा सुभट परिशिष्ट २ (क) पृष्ठाङ्क पद्याङ्क १८-१४३ ४८-३७३ ११-६८ ३३-२५० ८-६४ Jain Education International ५-३४ ४४ - ३१६ ६-४६ १२-६० ह ३३-२४७ २८४ कमल हल हुकले २८५ हय चढियो पर घय हुकम २३-१९४ २८६ हलकारा मालुम करी ३३-२४६ २८७ हसज्यौ कसज्यौ बेलज्यो २०-१६४ २८८ हसत लसत निरषत हरष ४६-३८१ २८६ हिया पीतम परहरत २६० हीरांके प्रायो हरष २९१ हीरां चाहै छैल चित २६-२२० १२-६३ ६-४३ २६२ होरां चिता परहरी ३-१६ २६३ हीरां चिंता परहरो ३-१८ ५-३५ ५-३८ २६४ होरा चिता परहरो २६५ हीरां जोवत मन हरष २६६ हीरां तणी सहेलिया २६७ हीरा बगसीरांम हित ५-३६ ५०-३६४ २६८ हीरां मद श्रातुर भई ६-४२ २६६ हीरां मदन बिलासहित २४-१६७ १६-१५५ ४२-३०१ ४-३० ४-३१ ३०० होरां मनमें प्रति हरष ३०१ होरां मनमें प्रति हरष ३०२ हीरो मन व्याकुल भई ३०३ हीरां मन वाकुल भई ३०४ हीरां यम लषियो हरष ३०५ हीरो व्याकुल थरहरत ३०६ हीरांसु कहो केसरी ३०७ हीरा सुणज्य हेतकी ४६-३४७ २०-१५८ २५-२१२ २१-१६८ क्र० ३०८ ही सूती महल में ३०९ हू तो चाकर हू कमकी ३१० होद नीर चादर वहत छप्पय अनुक्रम अ १ श्रब निवाई ऊपर, हीरां दिल प्रोहित २ अब बरषा रत घुमत घुमंड घनहर घूमत ३ अब सूरज्य प्राथम गहर, सुनो बति गजिये ४ श्रले बेलियां प्रसवार धरण बिध देषण प्राई उ पृ० प० ६-४५ ३४-२५१ २६-२३२ ऊ ६ ऊट चढे श्राकलो यम राईको प्रायो ४१-२८५ ४१-२८७ २१-१६९ ५ उदयापुर त्रिय प्रवर बिबध मंन राग बणावत For Private & Personal Use Only १८-१४१ ७ ऊसन धरण श्राकास, उसन चल पवन असंभव १५-१२२ ३६-२६२ ४२-२६१ क ८कर रावण केसरी चलत मंन बात हरष चित ३४-२५७ ग ६ गिगन मलत घन घोर चपला चंमकारुत ४१-२८८ घ १० घोडा भड घमसान पाषरा बगतर पूरा १८-१४२ www.jainelibrary.org

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