Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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२३२ ]
परिशिष्ट २ (ख)
क्र०
पृ० ५०
क्रमांक
पृष्ठाङ्क पद्याङ्क ३७६ में ही लोयण लोईया (टि.)
९८-३० ३८० मे जाण्यो मृग मारोत्रो (टि.)
१०३.३२ ३८१ मै तेरा माला भंगीया (प.)
२१२-२१ ३८२ मोटी थी मोटाथोई (प.)
२०७.८५ ३८३ मो सरषी निगुणी तणे १०८-१६२ ३८४ मौ सरसौ पीउडौ मील्यो
११८-२३६ मंगल जारी मागरण १३४-३१६
३८६ योगी योगी योगीया (प.)
२०३-५५
४०२ राजा भोजरी मांनरी ६३-३८ ४०३ राजा मिल नाम थापीयो ५७-१४ ४०४ राजा मेरी वालही १०५-१७६ ४०५ राजा रसालुरी वातडी (दि.)
१४४-७४ ४०६ राजा रीसालू हंदी वातडी (टि.)
१४४-६८ ४०७ राजा रूठो स्यूं करे (प.) २०६-७१ ४०८ राजा सूपनै बोलीयो ६७-५० ४०६ राणी कहै सूण राजवी ७६-७१ ४१० रांणी झारी भर लेई ९१-१२३ ४११ रांणी सह साथै लीयां (टि.)
१४३-७७ ४१२ रांणी सूण पीवत भणे ६२-३५ ४१३ राणी सूण मोहित हूई १२-१२८ ११४ रात ज करहा न उछरे (प.)
२१४.४६ ४१५ रात दीवस तीहां हो रहे (टि.)
१४३-७८ ४१६ राते करहा उछरै १२१-२६० ४१७ राते करहा न छूटीइ (प.)
२०६-७६ ४१८ रात नायौ तु हिरणीया ८८-१०३ ४१६ रोमन रातडीयां तणी ११६-२३२ ४२० रांम सरीसा भोगव्या १०७-१८५ ४२१ रावत भिडियां बांकडा १०८-१८८ ४२२ राक्षस रूडां मारीयो (प.)
३८७ रतन कचोलो रूवडो १२५-२७५ ३८८ रयणी दुषकी राश भी १०१-१६१ ३८६ रस रमतां मैहला विषे १०८-१९४ ३६० रसालुहंदा प्रांबा प्रांबली (टि.)
६०.२६ ३९१ रहो रहो केथ प्रण भावना
१२४.२७४ ३६२ राकस धूतारो पर्छ ८१-७६ ३६३ राग-रंग-रसकी कथा ५१-५ ३९४ राजन रूडा होयज्यो १३१-२६५ ३६५ राजपाट सहु विलसतौ १४३-३४१ ३९६ राज विना दिन जावसी ६६-५४ ३९७ राज सरीषा पाहुणा १३५-३१६ ३६८ राजा तणो षडग परणने ६२-३२ ३६६ राजा भोजजी (अ.) ६१-२५ ४०० राजारे भोजरी कुवरी (टि.)
१२५-६६ ४०१ राजा भोजरी डोकरी (टि.)
१२८-५३, ६१
१९६-२०
४३३ रीस अमारा माइ बाप (प.)
२०२-४७ ४२४ रीसालु रीसालुवा (प.) २१४-५० ४२५ रीसाल कुंवरने छोडने १३-१३३ ४२६ रीसालू बांण सनाहीयो (प.)
२०२-५१
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