Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 300
________________ क्र० परिशिष्ट २ (ख) [ २३१ क्रमाङ्क पृष्ठाङ्क पद्याङ्क पृ० प० ३३० बंधव भलै घर प्रावीयो (टि.) ३५४ मारणस देह विडाणीया १०६-२०१ १४०-६४ ३५५ माता मै मोलवा तणौ (टि.) १४१-६६ ३५६ माथू फिर तो मारगथी प्रो (प.) ३३१ भलाई पधारयां कुंमरजी २००-६० १३२-३०६ ३३२ भला ई पीयारो नेहडो १३२-३०८ ३५७ माथो लागो बार सांषस्यूं (प.) ३३३ भला तुम्हे सुषोया हुवौ ६५-१३६ २१०-१०० ३३४ भलो इततनी १३१-२६६ ३५८ माय बाप लियां तिहां १३६-३२५ ३३५ भागवान अरु साहसी (टि.) ३५६ माय वडारण बाप वड (टि.) ७१-३ १४३-७६ ३६० माय वीडांणी पीता पारका (टि.) ७०-८ ३३६ भुम पराई ने पर मंडली (प.) २१३-३४ ३६१ माय पीडाणी बाप वड (टि.) ७०.४ ३३७ भुम पराई भोगणे (प.) २१३-३३ ३३८ भूमि पीयारी भोगणो (प.) ३६२ मारयो मारयो रे बा (प.) २०४-६२ २१२-१५ ३३६ भूल चूके भोलडी ११५-२२४ ३६३ मारी नै माथो ल्यावसू ८१-७८ ३४० भेटे चरण सूखी थव १४३-३४० ३६४ मारेगो रे बप्पड़ा (प.) २००-३२ ३४१ भोले भुलौ रे वालंभा (प.) ३६५ माली कहै पोतसाहजी ८५-६२ २१३-४५ ३६६ माली रावें संचरयो (प.) १६६-२२ ३४२ भोले म भूल रे भाइया १२१-२५६ ३४३ भीम पराई विगाडीया ८४-८६ ३६७ माहाराज धणी हूकमी ६०.२० ३६८ मृगलो सूवो मेनड़ी ११५-२२३ ३६६ मे अस्त्री विन सूना १०५-१७७ ३४४ म्हारे पुत्री इक बले १२६-२८१ ३७० मे मरहुं त्रिस कारण १०५-१७८ ३४५ म्हे क्यूं रीसाठू थाह थकी ३७१ मे मेरा कंचुना मांणीया (प.) १२३-२७० २०१-४५ ३४६ म्हे परदेसी दीसावरा ६१-१२२ ३७२ मेरा नाम छै हठीमला (टि.) ३४७ म्हे मारचा किरण रांमरा ७३-६५ ६३-२३ ३४८ म्हे समसत रायक पूतड़ा ३७३ मेरा नाम हठ भला (टि.) ९४-१८ १२६-२७६ ३७४ मेरा नाम हे हट्ठीया (प.) ३४६ म्है राजा राजवी ७३-६४ २००-३३ ३५० मनरंजण अतिसूषकरण १४४-६४७ ३७५ मेरा मला भांगीया (प.) २१२-२० ३५१ मांगणहारा ममता ५७-१६ ३७६ मे विरहणी विरहातणी १०१-१६२ ३५२ मांटी सूतौ छोडने ११८-२३८ ३७७ मे हठीया छ हठमला ६१-११६ ३५३ माणस ते नहीं ढोरड़ा ६२-१२६ ३७८ मे हठुवा मे (प.) २१२-१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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