Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 310
________________ परिशिष्ट २ (घ) [ २४१ १०६ मे तो टंगण मालकी १७३-५८ । १३५ सैठो कीधो सायधण १७६.८२ १०७ मै तो बरजी मालको १७५-६६ १३६ संगरा भीजै साथीयां १८०.११४ १०८ मोतो हीरा मूंगीया १६७-३१ १०६ मो लंकाने मूदडी १७६-७७ १३७ हीडां वासां हीडबा १७६-१०८, १३८ , , , १७६-१०६ ११० रातां हष थोडी रही १७२-५० १३६ होडारी लीजो हलक १७६-१०१ १११ रानां पर ताना करै १६७-२५ १४० हीडा रेसम हेमरा १७६-१०२ ११२ रीसा बलती राजनै १८५-१४४ १४१ हो. लागी हीडवा १७३-५२ ११३ रेवत समजै रानमै १६७-२६ १४२ हीड सहीयां हीडसी १७८-६४ ११४ रेवंत समज रानमै १६७-२७ १४३ हेमो लाधो नै हरो १६७-२४ गीतादि-अनुक्रम ११५ लपटोजे तरसूलता १७३-५४ ११६ लष ग्रहणां वप लपटजौ १८८-११७ १४४ प्रासां जडी लगासां दुबारे ११७ लाली यक कावल लुली १८१.१२७ सूंघ भीन प्रासाँ १७७- ३ १४५ ऊकतां ऊंडी ऊमदा जुगता हु जांणां १६४.४ १४६ प्रोप लपेटो अपार धागो १७०.१ ११८ व जसी थाढी वायरी १७९-११२ ११६ वरचा(छां) चढसी वेलडी १८०.१२२ १२० वरसालो मैमत वो १७८-६३ १२१ वरसालौ वैरी वूमो १७७-८६ १२२ वादल कालै वीजली १७३-५३ १२३ वादल गलगल बरससी १७९-१०५ १२४ विडगांरा बाषाण १६७.२८ १२५ वैरीचोथा बादला १७७-८७ क १४७ करें कोडजाडा दोढी पंचाणा कनाटो कार १७७. ४ १२६ श्रामण मास सुहामणो १८०-११५ १४८ वरंजी रहो रही चां नोजी १८४-६ १४६ चोगां तोडा पवत्रा किलंगी सेली पाग छाई १७०-२ १२७ सत त्रेता द्वापुर समै १६४-६ १२८ साकल पल हलसी घरा १७६-१०७ १२६ सातु मिल सहेलीयां १७६-८० १३७ साथ लाग्यो सूषडां १८०-१२० १३१ साथ लीजो साथीयां १७८-६६ १३२ सारंग वैरी सातमा १७७-८० १३३ सारी ऊठ सहेलियां १७३-५१ १३४ सुग मालू थारी जसा १७५-७० १५० जेले तुरंगा रेसमी डोरी वनातां जडाव झोण १७७- १ १५१ जोवे जुल सहेली हवेली सीस चढे जोषी १७७- २ १५२ मलंबा झलूस साज सहेल्यारौ साथ जो १७०- ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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