Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 328
________________ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर द्वारा राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला में प्रकाशित राजस्था राजस्थानी-हिन्दी-ग्रन्थ .. १. कान्हड़वे प्रबन्ध, (प्र. ११), महाकवि पद्मनाभ विरचित; सम्पादक - प्रो. के. बी. ध्यास । मू. १२.२५ २. क्यामखो रासा, (प्र. १३), कवि जान कृत; सम्पादक - डॉ. दशरण शर्मा मौर अगरचन्द भंवरलाल नाहटा । म.४.७५ ३. लाषा रासा, (प्र. १४) अपर नाम कूर्मवंशयशप्रकाश, गोपालदान कविया कृत; सम्पादक - श्रीमहताबचन्द खारेड़ । ४. बाँकीवास री ख्यात, (प्र.२१), बाँकीदास कृत; सम्पादक - श्रीनरोत्तमदास स्वामी । मू. २.०० ५. राजस्थानी साहित्य संग्रह भाग १, (प्र. २७); सम्पादक - श्रीनरोत्तमदास स्वामी। मू. २.२५ ६. राजस्थानी साहित्य संग्रह भाग २, (प्र. ५२) तीन ऐतिहासिक वार्ताएं-बगड़ावत, प्रतापसिंह महोकमसिंह और वीरमदे सोनगिरा; सम्पादक - पुरुषोत्तमलाल मेनारिया। मू. २.७५ ७. कवीन्द्र-कल्पलता, (ग्र. ३४), कवीन्द्राचार्य सरस्वती कृत; सम्पादिका - रानी लक्ष्मी कुमारी चूण्डावत। ८, जुगलविलास, (ग्र. ३२), कुशलगढ़ के महाराजा पृथ्वीसिंहजी अपरनाम कवि पीथल कृत ; सम्पादिका - रानी लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत । मू. १.७५ ६. भगतमाळ, (४३), चारण ब्रह्मदास दादूपंथी कृत; सम्पादक • श्रीउदयराज उज्ज्वल। मू. १.७५ १०. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची भाग १, (न. ४२), ई. स. १९५६ तक संगृहीत ४००० ग्रंथों का वर्गीकृत सूचीपत्र ; सम्पादक - मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य। मू.७.५० ११. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, भाग २, (प्र. ५१), ७८५५ तक के ग्रन्थों का सूची-पत्र ; सम्पादक - श्रीगोपालनारायण बहरा। मू. १२.०० १२. राजस्थानी हस्तलिखित-प्रन्थसूची भाग १, (प्र. ४४), मार्च १९५८ तक के ग्रंथों का विवरण ; सम्पादक - मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य । मू. ४.५० १३. राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थसूची भाग २, (प्र. ५८), १९५८-५९ के संग्रहीत ग्रंथों का विवरण ; सम्पादक - पुरुषोत्तमलाल मेनारिया । मू. २.७५ १४. स्व. पुरोहित हरिनारायणजी विद्याभूषण-ग्रंथ-संग्रह, (ग्र. ५५), सम्पादक • श्री गोपालनारायण बहुरा और श्रीलक्ष्मीनारायण गोस्वामी । मू. ६.२५ १५. मुंहता नणसी री ख्यात भाग १, (प्र.४८), मुंहता नैणसी कृत; सम्पादक - प्रा. श्रीबदरीप्रसाद साकरिया। मू. १.५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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