Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 303
________________ स [ २३४ ] ५०३ सहस दाय हैवर दोया १३५-३२२ ४८० षट्रीतभोगी भमर ज्यूं ५२-६ ५०४ साइब भरस्यां गोरडी ६५-१३७ ४८१ परीय उहेलि छातीयां ६२-१२७ ५०५ साई बाजी राषबे १३०-२६१ ४८२ विजमतबंधी रावली १६-१४३ ५०६ साई साजन प्रेम का १२२-२६३ ५०७ साथ घिस्यौ पूठो होवे ६६.५७ ५०८ साद करी करी हूं यकी (५०) ४८३ स्यं कोषो राणी एहयो १७.१५२ २०३-५४ ४६४ सकल प्रोपमा जोग्य है १३६-३३० ५०६ सांप छोडी कांचली १२५.२७७ ४८५ सज्जण दुज्जण सुष करण (4) ५१० साप ज षाधे सहु मरे (प.) २००-२६ २०६.६४ ४८६ सज्जन गया गुण रह्या (प.) ५११ सारा विडाणा हिव हूषा २०४-५७ ७५.६७ ४८७ सड सड सुड्या चषिया (प.) २१२-२२ ५१२ सालधहण नृप राधका ५६-११ ४८८ सत कोधो ने साहबण ११०-२०५ ५१३ सालवाहन नलवाहणरा (प.) ४८६ समस्तपुर पुत्र जनमीयो (टि०) २११-१ ५१४ साली मो मन माहरी ११०.२०६ ४६० समस्तसूत रीसालूबो ७६-७० ५१५ सासरीया पीहर तणा १०४-१७२ ४९१ समूद्र घोडं चालीयो ७२-५६ ५१६ साहिबडा तुमै सांभलो ११४.२२१ ४६२ सरवर कापड धोइया ११२-२१६ ५१७ साहिब तो सूता भला १२२-२६२ ४६३ सरवर निरमल नीर ५१८ सिंगालो भरि बोलणी ५२.७ १११-२१४ ५१६ सिर जातां जीष जायस्ये (प.) ४६४ सरवर पाय पषालता (प.) २००-३४ २१४-५१ ५२० सीधावी सीध करी ६९-५३ ४६५ सरवर पाय पषालतां (दि.) ५२१ सोर प्रमार अमी झर (प.) . १३३.७१-७२ २१४.४८ ४६६ , , , , १३५-६७ ५२२ सोह तणा जेधा बाछडा ६५-४४ ४६७ सरवर पाय पषाला (टि.) ५२३ सुंण बाई वीरो कहै (दि.) १३४-५८. ५६.६६ १४१-६८ ४६८ सरधर पाव पषालती (प.) ५२४ सुंण बीरा बैनी कहै (टि०) २०८-८ १४१-६९ ४९९ सराहीये टुक दंती (प.) २१४-५५ ५०० सरोवर धोर्या धोतीयां (प.) ५२५ सुण सुण साहीव हठमला (टि०) २०४-५६ ८५-६३ ५२६ सुण हो साहीव हठमला ६१-११० ५०१ सल्ला होय सो कोनीयों १३६-३३६ ५२७ सुणीर्य मगजी प्राजरी ८६-६६ ५०२ सहस प्रांबा सहस प्रांबली (प.) ५२८ सुरणो पातस्या हठीमल (टि०) १९९-२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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