Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 306
________________ परिशिष्ट २ (ग) नागजी ने नागवंतीरो वात दूहा-अनुक्रम १ प्रांबो मरवो केवडो १५६-५३ १८ ढोल दडूकै तन बहे १५३-२७ प १६ प्रीत निवाहण अवतरया १६३-८० २० प्रीत लगी प्यारी हुँती १५२-२१ २१ पापी बैठो प्रोलीय १५६-३६ २२ पीपल पान ज रुण-झणे १५६-५१ २ अंडो गाजे ऊतरा १५६-५० क ३ कमर बंधावत कुंधरकुं १५०-६ ४ कान-घड्यां चले सोवना १५८-४२ ५ कुच कर पोखद भुज-पटी २३ बेलड़ी तिलड़ी पंचलड़ी १५८-४३ म ६ कुछ मा भुज जा महर जा २४ मन चिते बहुतेरियां १४५- १ ७ गोरोदा गल हायडा .८ मोरी बांह छातीयां ६ गोरी होयो हेठ कर १५०-१३ १५०-१२ १५०-११ २५ रहो रहो गुरजी मूत कर १५८-४५ २६ राजा वेब बुलायक १५१-१८ २७ रिमझिम पायल घूघ। १५८.४१ १० चख सिर खत अदभुत जतन १५२-२२ ११ चेला पुसतक झल करी १५८-४४ २८ लाख सपाणप कोड बुध १४५-२ १२ छोटो केहर बोहत्त गुण १४७- ३ १३ जा जोबन पर जीव जा १६०-६० १४ जान मांणो रतडी १६१-६३ १५ जावो जीभा ना कहूं १५१.१४ १६ जो याकौं गावे सुणे १६३-८१ २६ सजन आंबा मोरीया १५६-५२ ३० सजन चंदन बांधने १५६.५४ ३१ सजन दुरजन हुय चले १५१-१६ ३२ सिपावो ने सिध करो १५१-१५ ३३ सिसक सिसक मर मर जीधे १५२-२० ३४ सेल भलूका कर रह्यो १५३-२८ १७ डूंगर केरा बाहला १६१-६७ ३५ हे विधना तोसुं कहूं १५०-१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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