Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 299
________________ २३० ] परिशिष्ट २ (ख) क्र० पृ०प० । क्रमाङ्क पृष्ठाङ्क पद्याङ्क २८० परवाई झीणी फरे ११५-२२७ २८१ पलंग छीपाए छांटीये (टि.) ८७-३७ २८२ पलिंग पठ्ठी ढालीज्यों (प.) २०१. ४ २८३ पाई मुका'' (प.) २१४-५३ २८४ पाघडीयां पंचा सकल (प.) २०७-७६ २८५ पाछो बोलो बोलड़ो १३१-२६७ २८६ पांणी जग सघलो पीए (प.) २०४-५६ २८७ पाणी पीने वाटथी (प.) २०८-८६ २८८ पातसाह अग्या तेहनै ८५.६४ २८६ पाना फूलां माहिला १०६-१६६ २९० पाय पहिरी चाषडी (प.) २०६-७३ २९१ पाल पीयारी जल नवो (प.) ३०५ पीउ रे दुध रसालुमा (टि.) ७०-७ ३०६ पीजरीयारा पोढणा६६-१४७ ३०७ पीडत पुछणहं चली (प.) २११-२ ३०८ पीया दुध फली करो (टि.) ७०-३ ३०६ पीया दुधा थली करौ (टि.) ७१-० ३१० पुरष भला गहिलाथई ११८-२४१ ३११ पूरो पूनम जेहवो १३३-३१२ ३१२ पूत्र ईसा जगमै हुवै १३१-३०० ३१३ पूत्रतणी वांछा घणी ६५.४५ ३१४ पूत्र नहीं ईक मांहरै ५२-८ ३१५ पूत्र पितारा हुकममे १३१-२६६ ३१६ पेहरज्यौं मांहरी पावडी १२०-२५५ ३१७ पैहर हमारा लुघडा (प.) २१३-४३ ३१८ पोह फाटी पगडो हुवौ (प.) २१३-४२ ३१६ पंच पंरूं सात सूव सूवटा ६६-१४८ ३२० पंथी ए सुघड धोइया (प.) २१३-३२ २०४-६० २९२ पालो पांणी पातसाह ११६-२२८ २६३ पावडीयां चटकालीयां (प.) २०६-७४ २९४ पावरीयां पटकालीयां १२०-२५८ २६५ पावल ऊपर घूधरा (प.) २०६-६७ २९६ पिंडस पतल कटि करल १३३-३१० २६७ पिण को दाय उपायथी ६५-१३८ २९८ पिण तो सरषो बालही १३४-३१७ २६९ पिण थे जावो गोरडी ६५-१३६ ३३० पिण हिव सूता रिसालूंवा ३२१ फिट फिट कुवधी सज्जनां १०८-१६३ ३२२ फुलमती हठीय धरी (प.) २१४-६० ३२३ फूलवती हठीयो ग्रहो (प.) २०६-६६ ३२४ फेरा फीरे फोरंदड़ा (प.) २११-० १२२-२६७ ३०१ पिता हूकम वनवासको १३६-३३४ ३०२ पिलंग छपीयां छाटीयां १८-१५५ ३०३ पीउ कचोले पोउ वाटके १०३-१६७ १०४ पीउ प्यारी पीउ प्यारडी ११६-२४६ । ३२५ बार वरस वनवासरा १३५-३२१ ३२६ बालापणरी प्रोतडी १०८-१६० ३२७ बांहडीयें जल सजल (प.) २०६-८७ ३२८ बेटा जाया सालिवाहन (प.) १९७-२ ३२६ बेटा तुं सुलषणो (टि.) १४१-६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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