Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 297
________________ २२८ परिशिष्ट २ (ख) क्रमाङ्क - पृष्ठाङ्क पद्याङ्क पृ० प. १७७ जाचक जै-जै बोलीया ६१-२४ १७८ जाचक बहुधन पोषीया ६१-२६ २०१ तब राकस रूप रवी ८१-८२. १७६ जांण न पाई हठमला १०८-१६६ २०२ तल गुंदल निलज उपरे १२५-२७६ १८० जाणे मान सरोवरे १३३-३११ २०३ तास तोषां लोयणा १२४-२७३ १८१ जांन बिराजी गोहरें (प.) १६८-१७ २०४ तिनसं पायो थां कनं ८९-१०८ १८२ जावत जी. क्युं कहां (प.) २०५ तीर सपल्लल चांपीयो १३०-२६२ २०१-३८ २०६ तीहां छै बचा प्रती भला (टि.) १५३ जावो रांणी विडांणीयो १०६-१८० १४३-७६ १८४ जाण्या रोष्या विवताल है (टि.) २०७ तीहाथी मान नृपततणी ६१-२७ ८८-१८ २०८ तु कारण क्यूपूछ बै ६०-११३ १८५ जि नर रूपे रूवडा १३३-३१३ २०६ तुम फूरमायो जा परौ १३६-३३२ १८६ जीव हमारा तें लीया (प.) २१० तुरत मोहर लेई करी ८०-७४ २००-३१ २११ तुं राजा हंदी गौरड़ी (प.) १८७ जे देष तं रूंषडा (प.) २११-८ २१३-३८ १८८ जे परपुरषां कामनी ६३-१३१ २१२ तुं हठालु हठमला (टि.) ६१-२८ १८६ जेसा पूत्र ज्यूं वाल्हा १३१-२६८ २१३ तुं हठीमल तुं हठीमला (टि.) १६० ..जोगी जोगीणा (प.) २१२.२६ ९३-२४ १९१ जोगीड़ा रस भोगीया १०५-१७५ २१४ तूबी चूइ टबूकडे (प.) २०६-७० १९२ जोगीया पर भोगीया (प.) २१५ ते प्राण्यो में भषीयो (प.) ... २१३-३० २०३-५३ १६३ जो तुमै रोसवता हूवा ६७-४८ २१६ ते नारी गढ सूरडी १२-१३० १६४ जो मिलवो मूष देषवौ १३६-३३३ २१७ .. तो प्रातम लोई (प.) २१४-५४ १९५ जो सूरज प्राथूणमै ८३-८४ २१८ तो इहां बंध में सरचा ६५-४६ २१६ तोरा नाम हठमला ६०.११४ २२० तो सरसी नार तणा ११०-२०७ १९६ झगो धोयौ फॅटो धोयो (टि.) २२१ तोसु केल करांतड़ा (प.) ११२-२६ २१२-१८ १९७ झारी हठमल हाथ ले ६१-१२४ १९८ झिरमीर झिरमीर वरसीयो २२२ थारो वीरो बहुबली (दि.) ११७-२३७ १४२-७३ २२३ थाल भरी दाल-चांवला ५७-१२ २२४ था बीना सारी बातडी ८१-७७ १६९ डाकिणमंत्र प्रफीण रस १९८-१६ २२५ थांह सरसी माहरे १२३-२७२ २२६ यांह सरीषा म्हारा वांहरू ८४-६० २०० ढोल धडक तन बडे (है) १२७-२८४ । २२७ यांसू कटती रातड़ी ६९-५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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