Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 298
________________ परिशिष्ठ २(ख) [ २२६ क्र० - पृ० ५० क्रमाङ्क पृष्ठाङ्क पद्याङ्क २२८ थे छो राजा बहुगुणां (टि.) १४२-७१ २२६ थे दीधौ म्है भष्यो (प.) २१२-२६ २३० थे दीनां में जीमीया १०३-१६६ २३१ दइवाधीन लिख्या जिके १०७-१८४ २३२ दया रषो धरमकू (प.) १६७-६ २३३ दल दिषणादी देषीया १३८-३२८ २३४ दल वादल भेला हुवा, १३७-३२७ २३५ दस मास हंदी परणीया ६३-१३२ २३६ वस सुवा बस सुवटा (प.) २१२-२३ २३७ दुरवल के बल राम हे (प.) १९७-८ २३८ देसडला परदेसड़ा (प.) २०५-६३ २३६ देस वोडांणो भूय पारको । ११२-२२८ २४० देषौ छोरू मुष सदा ६५-४२ २४१ देषौ सहेली प्रायक (टि.) १४०-६३ २४२ देषो सूषम दुष हुवी (प्र.) ६६-५७ २४३ देषो हुंती दस मासनी १०४-१७० २४४ दोन राजा जुगतिका (प.) १६७-३ २४५ वंत कटका कुदतो ८१.८० २५२ नयण थारा भुंभला (टि.) . १४२-७२ २५३ नवल सनेह पीहर तणों ६४-४० २५४ नवि मूनो नवि मारीनो (प.) २०५-६७ २५५ नष अंगूठे अंगूली ११२-२१५ २५६ नहीं घररो वेरागोप्रो (प.) १९८-१३ २५७ नही घोडा रथ उंटीयां १०४-१७३ २५८ ना जोवन, मतीया (प.) २१४-५७ २५६ नाटिक छंद गुण गाजीया ५७-१५ २६० ना म्हे मूवा नवि मारीया ११४-२२२ २६१ नार पराई विलसतां १०१-१६४ २६२ नारी न जाण्यौ प्रापरी १११-२१२ २६३ नारी नहीं का प्रापरी ११८-२४० २६४ नारी ना-ना मूख रट ११९-२५१ २६५ नारू तीखा लोयणां (प.) २१४-४६ २६६ नासा सोहे मोतीयां (प.)२०७-७८ २६७ नाहर सेती अधीक बल (टि )8:-३३ २६८ नीदडीयारो नेहडो ११६-२३३ २६६ नेण चूकी निजर फेरवी २०७-८३ २७० नेनूकी प्रारत बुरी (प.) २००-३० २७१ नेसै सांन ज करी (प.) २००-३६ २४६ धणी सासती नारी नही ११८२४४ २४७ धन-धन मातारो नेहडो १३६-३२४ २४८ धन रे नाम रीसालुवा (टि.) १४०-६२ २४६ धारवंती ढली करी (प.) २०७-८६ २५० नगर चोहटे नीसरचा (टि.) १३२-७० २५१ नगर चोहटै नोसरचौ (टि.) १३२-५७ । २७२ प्रथमें प्रण श्रीगणेश (प.) १९७-१ २७३ प्रह फूटी प्रगडो भयो (प.) २०६-७२ २७४ प्रेम गहिली हुं थई १०८-१९५ २७५ प्रेम विडांणा पारषो १३१-३०१ २७६ पग दोठा पवंगरा (प) २०१-४१ २७७ पटुवा महता गांवरा (प.) २१:३६ २७८ पर घर पर धरती तणा ८९-११० २७६ पर भूमी षडवा थकी १२३-२७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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