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बात नागजी-नावन्तीरी
[ १४७ मांहिसु प्रायनै सिलांम करी बीड़ो उठाय लीयो। तरै रजपूत सब बोलीयाकुवरजी साहिब ! बीड़ो खावणरो न छै, मरणरो छ', तरै नागजी कह्यौहूं भाटीयां ऊपर जासुं। तरै राजाजी कहियौ-तू टाबर छै, कदे ही राड़ देखी न छै। पिण नागजी कह्यौ मांन नही । तरै लोकां कह्यौ-महाराजा ! रजपूतांरा बेटांरो काहू छोटो, सिंघरो बचो नानो हीज थको हाथीयांरी गजघंटा भांजै छ।
दहा- छोटी केहर बोहत्त गण, मिलै गयंदा मांण ।
___ लोहड़ बडाइ नां करै, नरां नखत्त प्रमाण ॥ ३॥ ४. तिणसु आप कोई फिकर करो मति नै कुंवरजीनै मेलो। ताहरे राजा कह्यौ-भलां, जावो । तरै नागजी प्रापरा दाईदार हजार पांच असवार लेनै चढीयो, नै भला घोड़ा लीया, नै पोसाख तथा डेरा तथा घोडारी सझाई इकरंग केसरीया करनै चढीया, सु जायनै भटीयांसु कजीयो कीयो । भटी भाज गया । जिकै थम्या तिणांनै मार लीया। फतैनांवा करनैं पाछो वलीयो । सु सैहरसु कोस एक ऊपर मानसरोबर तळाव छ, तेथ' प्राय डेरा किया। आसोजरो महीनो थो। सुतळावरै कनै जाखड़ारी घर-घराउ खेती थी। सु रखवाळी न थो। खेतरो रखवालो कोई हूतो नहीं। नै नागजीरै एक बड़ी भोजाई परमलदे इस नामे छै । सु नागजीनु जीमायनै जीमै । सु महीना दोय एक तो हवा देख तळाव उपरै हीज रह्या । सु भोजाई जायनै जीमाय पावै । पछ एक दिन कह्यौ-नागजी माहाराजकुवार ! थे गढ़ दाखल हुय जो; मोने फोड़ा पडै छ । तरै नागजी कह्यौ-भाभीजी ! ओ तळाव ऊपर खेत किणरो छै? अठ खेतरो रुखवाळो कोई नहीं, तिणस म्हें खेतरी रुखवाळी करां छां, इसो कह्यौ। तरै परमलदे पाछी आई। आपरै २ धोलबाळानु कह्यौ-तळाव ऊपर खेती किणरी छै' ३, सु रखवालो कोई नहीं१४ ? जो कोई रुखवालो म्हेलो तो नागजी गढ़ पधारै । तरै धोलबाळ चाकरांनुपूछीयो। तरै चाकरां कह्यौ-खेती तो जाखड़ाजीरै हुयी छै । तरै धोलबाळ जाखड़ानु कह्यौतळाव ऊपर खेती राजरै बुई छै तो रखवाळो मेलो, ज्यु नागजी घरै प्रावै; टाबर छ, सु वाद चढ़ौ छै । तरै जाखड़ो तलहटी गयो। जायनै लुगायांनु
१. ख. उ वीड़ो मरणरो छ। २. ख. उपरां। ३. ख. न छ। ४. ख काइ । ५. ख. गजघटा। ६. ख. प्रतिमें यह दूहा नहीं है। ७. ख. संभ्या। ८. ख. तठे। ६. ख. खेतरै रखवाळो। १०. ख. प्रतिमें नहीं है। ११. ख. पाई। १२. ख. तरै। १३. ख. हुई छ । १४. ख. प्रतिमें नहीं है।
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