Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 3
________________ भूमिका मंद, सुगंध समीर के झोकों से हिलते हुए वृक्षों के पत्तों की छनछनाहट आवाज उद्घोष कर रही थी, संत मनीषी, प्रज्ञापुरूष के मानसिक विचार भी कल्याणी भावना का उद्घोष कर रहे थे । और विचारों के चरम मंथन में एक स्फुरणा स्फुरायमान हुई और उस स्फुरणा पर सूक्ष्म दृष्टि से अवलोकन सिंहावलोकन किया एवं संकल्प कर लिया, उस स्फुरणा को कार्य रूप में परिणित करने के लिये कृतसंकल्पी हो गये। उस कल्याणी स्फुरणा-भावना को साकार रुप देने के लिये संतमनीषी ने एक व्यक्ति को चुना-श्री भंवरलालजी बोहरा.। गुरुदेव के आदेश की अवहेलना वे स्वप्न में भी नहीं कर सकते थे। गुरुदेव के प्रति उनके मन में रही पूर्ण निष्ठा, पूर्ण भक्ति, पूर्ण समर्पण, प्रतिपल हर पल टपकता रहता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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