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25. जस्-शस्-ई-इं-रायः सप्राग्दीर्घाः 3/26
जस्-शस्-ई-ई-णयः समाग्दीर्घाः [(स) (प्रा)+(दीर्घा.)] [(जस्)-(शस्)-(ई)-(इं) (णि) 1/3] [(स)-(प्राक्)-(दीर्घ) 1/3] (प्राकृत में) (नपुंसकलिंग में) जस और शस् के स्थान पर ईं, इ, रिण (होते हैं)। (तथा) साथ ही पूर्व में स्थित स्वर दीर्घ हो (जाते हैं)। अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर इ, ई, णि हो जाते हैं तथा साथ ही पूर्व में स्थित स्वर दीर्घ हो जाते हैं । कमल (नपु.) - (कमल+जस्)=(कमल+ई, इं, रिण)= कमलाई, कमलाई,
कमलाणि (प्रथमा बहुवचन) (कमल+शस्)=(कमला+ई, इं, णि)= कमलाई, कमलाई,
___ कमलाणि (द्वितीया बहुवचन) वारि (नपु)-(वारि--जस्)=(वारि+ई, इं, णि)=वारीई, वारीइं,
वारीरिण (प्रथमा बहुवचन) (वारि+शस्) = (वारि+ई, इं, णि)=वारीई, वारीइ,
वारीणि (द्वितीया बहुवचन) महु (नपु.)-(महु+जस्)=(महू+ई, इं, णि)=महूई, महू, महरिण
- (प्रथमा बहुवचन) (महु+शस्)=(महू+ई, इं, णि)=महूई, महूइं, महरिण
(द्वितीया बहुवचन) 26. स्त्रियामुवोतौ वा 3/27
स्त्रियामुदोती वा [(स्त्रियाम्)+ (उत्) + (मोती)] वा स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 [(उत्) - (प्रोत्) 1/2] वा=विकल्प से (प्राकृत में) स्त्रीलिंग में उत् → उ और प्रोत्-→ो विकल्प से (होते हैं) प्राकारान्त, इकारान्त, उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में जस (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से उ और मो होते हैं और साथ ही पूर्व में स्थित स्वर दीर्घ हो जाते हैं (यदि ह्रस्व हों तो)।
प्रौढ प्राकृत रचना सौरम ]
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