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तत्→त के स्थान पर रण होता है। रण में भी त की ही भांति विभक्तिबोधक प्रत्यय लग जाते हैं। त (पु.)-(त+सि)-(ण+सि)=सो (3/86) (प्रथमा एकवचन)
(त+जस्) = (ण+जस्)=ते, णे (3/58) (प्रथमा बहुवचन) इसी प्रकार अन्य विभक्सिबोधक प्रत्यय लग जाएंगे। 70. किमः कस्त्र-तसोश्च 3/71
किमः कस्त्र-तसोश्च [(क:)+()] [ (तमो:)+ (च)] किम: (किम्) 6/1 कः (क) 1/1 [(त्र) - (तस्) 7/2] च और (किम् से परे सि मादि होने पर) त्र-हि, ह, त्थ मोर तस्+त्तो, दो होने पर किम् के स्थान पर क हो जाता है । किम् से परे सि प्रादि, त्र-हि, ह, त्थ और तस्+त्तो, दो होने पर किम् के स्थान पर क हो जाता है (क में विभक्तिबोधक प्रत्यय लग जाते हैं)। किम (पु.)-(किम् + सि) +(क+सि, आदि)= (क+सि)=को (सूत्र 3/2)
(क+जस्)=के (सूत्र 3/58)
आदि (किम् -त्र)- (क+हि, ह, त्थ)=कहि, कह, कत्थ (मव्यय)
(किम् + तस्) + (क+तो दो)=कत्तो, कदो (अव्यय) 71. इदम इप: 3/72
इदम इमः [(इदमः)+(इम:)] इदमः (इदम्) 6/1 इम: (इम) 1/1 (पुल्लिग में) इदम् के स्थान पर इम (और स्त्रीलिंग में इमा होता है)। पुल्लिग इदम् से परे सि भादि होने पर इदम् के स्थान पर इम होता है । (स्त्रीलिंग में इमा होता है)। इम (पु)-(इदम् +-सि)=(इम+सि)=इमो (सूत्र 3/2 से 'प्रो)
(प्रथमा एकवचन) इमा (स्त्री.)-(इदम् + सि)=(इमा+सि)=इमा (प्रथमा एकवचन) इसी प्रकार अन्य विभक्तिबोधक प्रत्यय लग जायेंगे ।
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प्रौढ प्राकृत रचना सौरम
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