Book Title: Praudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 242
________________ शुद्धिपत्र अशुद्ध शुद्ध क्रम पृष्ठ पंक्ति सं. सं. सं. (1) (2) (3) (4) (5) 1. 13 2. 15 3 15 * 4. 15 25 5. 24 6. 24 7. 27 9. 24 2 (ङसे) 17 (टाण) 23 (तृतीया बहुवचन) (द्वितीया एकवचन) 13 धेर 27 शम् । 18 नील+ई, प्र काल+ई, अ एम+ई, अ इम+-ई, अ 10 [(छाया)-(हरिद्रा) 5/2] 11 छाया और हरिद्रा से परे 10 27 (ङसेः) (टा)-(ण) (तृतीया एकवचन) (द्वितीया बहुवचन) धेणूउ शस् नील+ई, प्रा काल+ई, ग्रा एम+ई, प्रा इम+ई, आ [(छाया)-(हरिद्रा) 7/2] छाया और हरिद्रा (के प्राकृत रूपान्तर) में [(ईत्)-(ऊत्) 7/2] दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त (शब्दों) में 3/59 इमत्थ रूप नहीं बनेगा (ण.) 11. 28 12. 13. 32 14. 327 15. 40 11 [(ई)-(ऊत्) 5/2] दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त से परे 5/59 इमस्सि, इमम्मि, इमत्थ (ण) ण (ङस्)-(प्राम्भ्याम्)], 16. 17. 48 18. 48 19. 49 6 7 24 णः (ङस्) - (ग्राम्भ्याम्)+ (से)] प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ] I Lx Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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