Book Title: Praudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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(1) (2)
20. 54
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79
112
124
141
141
162
परि. - 1
(पृ.सं. iii)
iii
iv
Lxi ]
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(3)
18
तुं, तुवं
अन्तिम [(इ) - (तुव) (तुम) -
( तुह ) - ( तुब्म ) 3 / 1 ]
तुम्मि, तुम्सि, तुत्थ
21
14
18
9
10
9
9
18
अन्तिम
5
3 और
4
6
13
5
24
1
(4)
म: (भ) 6/1
(बहुवचनम् )
(शेष ) 2 / 1
शेष (रूपों) को
श्रादे
देवाण ( 1/27)
देवसि 1
एसि
मणि (3/26)
-
तुब्भं, तुब्भणा
कई सुंता
यो+अत्
यत्तद्भ्य + ङसः
जस डउ
(5)
तुं, तुमं, तुवं
[(तइ) - (तुव) - (तुम) -
(तुह ) - (तुब्भ) 1 / 3]
सूत्र 3/59 की व्याख्या के अनुसार केवल तुम्मि रूप ही बनेगा, तुम्सि, तुत्थ नहीं
ब्भ: (भ) 1 / 1
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( बहुवचन)
(शेष ) 1 / 1
शेष (रूप)
श्रादेः
देवाणं (1/27)
देवं स 1
एसि
for (3/26)
1/2 और 2/2 में तुम्हे,
तुझे जोड़े
तुब्भं, तुम्भाण
सुंतो
स्सयोः+अत्
यत्तद्भ्यः + ङसः
जसः + डउ
| प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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