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85. तदश्च तस्य सोऽक्लीबे 3/86
तदश्च तस्य सोऽक्लोबे [(तदाततः)+(च)] [(सः)+(प्रक्लीबे)] ततः (तत्) 5/1 चमोर तस्य (त) 6/1 सः (स) 1/1 प्रक्लीबे (अक्लीब) 7/1 पुल्लिग, स्त्रीलिंग तत्→त, ता और (एतत् →एत, एता) से परे (सि सहित) त के स्थान पर स (होता है)। पुल्लिग, स्त्रीलिंग तत्→त, ता एतत् →एत, एता से परे सि होने पर उन दोनों के स्थान पर स होता है । एत (पु.)-(एत-→एस+सि) एसो
(प्रथमा एकवचन) त (पु.)-(त-→स+सि)=सो
(प्रथमा एकवचन) एता (स्त्री.)-(एता→एसा+सि) एसा
(प्रथमा एकवचन) ता (स्त्री.)-(ता→सा+सि)=सा
(प्रथमा एकवचन) नोट-सूत्र 3/2 से एत, त पुल्लिग में डो→प्रो हुअा है ।
86. वादसो दस्य होऽनोदाम 3/87
बादसो वस्य होऽनोदाम् [(वा)+(अदसः)+ (दस्य)] (हः)+(अन्)+ (प्रोत्) +(प्रा)+ (म्)] वा=विकल्प से प्रदसः (पदस्) 6/1 दस्य (द) 6/1 हः (ह) 1/1 अन्न हीं प्रोत् (मोत्) 1/1 मा (प्रा) 1/1 म् (म्) 1/1 (सि परे होने पर) (सि सहित) प्रदस्-+प्रद के द का विकल्प से ह (हो जाता है) (मौर मह रूप बन जाता है) । (ग्रह में) मो, मा और म्+ - प्रत्यय नहीं (लगते हैं)। सि (प्रथमा एकवचन के प्रत्यय) परे होने पर (सि सहित) प्रद के द का विकल्प से ह हो जाता है । और पुल्लिग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग के प्रथमा एकवचन में अह बनता है । अकारान्त पुल्लिग प्रथमा एकवचन का प्रत्यय प्रो, स्त्रीलिंग का प्रा तथा नपुंसकलिंग का म् प्रत्यय नहीं लगते हैं । प्रवत् (पु., नपु., स्त्री.)- (अदस्+पद+सि)=मह (प्रथमा एकवचन)
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सोरम
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