Book Title: Praudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 231
________________ (4) (1) (2) (3) 116. 3/117 सुपि 119. 13/118 त्रेस्ती तृतीयादी [(:)+ (ती) [(तृतीया)--(प्रादौ)] 14, 4 120. 3/119 द्वेदों वे [(द्व:)+(दो)] 121. 3/120 दुवे दोण्णि वेण्णि च जस्-शसा 122. 3/121 स्तिण्णिः [(ः)+(तिण्णिः )] चतुरश्चत्तारो चउरो चतारि [(चतुरः)+ (चत्तारो)] 123. 123. 3/122 3/122 124. 3/123 12, 13 संख्यायाग्रामोह हं [(संख्यायाः)+ (प्रामः)+ (ह)] 1. पुस्तक के पृष्ठ सं. 64-65 पर प्रकाशित सूत्र-क्रम संख्या में त्रुटिवश 116 के बाद 119 मुद्रित है। इसलिए यहाँ सूत्र-विश्लेषण में भी क्रमसंख्या 116 के बाद 119 से दिया जा रहा है । xxxxix ] [ प्रौढ प्राकृत रचना सौरम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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