Book Title: Praudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 232
________________ (5) (7) भूभृत् हरि परम्परानुसरण तृतीया आदी हरि हरि is is to परम्परानुसरण परम्परानुसरण परम्परानुसरण परम्परानुसरण परम्परानुसरण दोण्णि वेणि (6) (सुप्) 7/1 (त्रि) 5/1 (ती) 1/1 (तृतीया) (आदि) 7/1 (द्वि) 6/1 (दो) 1/1 (वे) 1/1 (दुवे) 1/1 (दोण्णि ) 1/1 (वेग्णि ) 1/1 (च) (जस्) (शस्) 3/1 (त्रि) 5/1 (तिण्णि ) 1/1 (चतुर्) 5/1 (चत्तारो) 1/1 (चउरो) 1/1 (चत्तारि) 1/1 (संख्या ) 5/1 (प्राम्) 6/1 (ण्ह) 1/1 (ह) 1/1 जस् शसा भूभृत् तिण्णिः हरि - भूभृत् चतुरः चत्तारो चउरो चत्तारि परम्परानुसरण परम्परानुसरण परम्परानुसरण संख्यायाः लता प्रामः AU भूभृत् परम्परानुसरण परम्परानुसरण प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ] [ L Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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