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एताहिएदाहि एताप्रो=एदानो 144. अधः क्वचित् 4/261
प्रधः (अध) 1/1 क्वचित=कभी-कभी (किसी हलन्त व्यञ्जन के) पश्चात् कभी-कमी 'त्' का 'द' हो जाता है । महन्तो=महन्दो
निच्चिन्तो-निच्चिन्दो 145. वादेस्तावति 4/262
वादेस्तावति [(वा)+ (प्रादेः) + (तावति)] वा=विकल्प से प्रादे. (आदि) 6/1 तावति (तावत्) 7/1 तावत् (शब्द) होने पर (इसके) आदि ('त्') के स्थान पर विकल्प से ('द्' होता
तावत शब्द के अादि 'त्' के स्थान पर विकल्प से 'द' की प्राप्ति होती है ।
तावत्-+ताव= दाव 146. मो वा 4/264
मो वा [(म:)-+(वा)] मः (म्) 6/1 वा=विकल्प से (शौरसेनी में) (अन्त्य हलन्त न् वाले शब्दों में) (आमन्त्रणवाचक 'सि' परे होने पर) विकल्प से 'म्' का (प्रयोग किया जाता है)। शौरसेनी में ग्रामन्त्रणवाचक 'सि' प्रत्यय परे होने पर अन्त्य हलन्त न वाले शब्दों में हलन्त 'न्' के स्थान पर 'म्' की प्राप्ति होती है ।
राजन् =हे राज→हे रायं 147. शेषं प्राकृतवत् 4/286
शेष (शेष) 2/1 प्राकृतवत्=प्राकृत की तरह शेष (नियमों) को प्राकृत की तरह (मानना चाहिए)। शौरसेनी भाषा में शेष शब्द-रूपों के नियमों को प्राकृत की तरह मानना चाहिए।
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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