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चतुर् से परे जस् (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन के प्रयय) सहित चत्तारो, चउरो और चत्तारि होते हैं । चतुर्-(चतुर् + जस्) =चत्तारो, चउरो, चत्तारि (प्रथमा बहुवचन)
(चतुर+शस्)=चत्तारो, चउरो, चत्तारि (द्वितीया बहुवचन)
124. संख्यायाग्रामोण्ह ण्हं 3/123
संख्यायाग्रामोण्ह ण्हं [(संख्यायाः)+(आमः)+(ग्रह)] संख्यायाः (संख्या) 5/1 प्रामः (आम्) 6/1 ह (ग्रह) 1/1 हं (हं) 1/1 संख्यावाची शब्दों से परे प्राम के स्थान पर ह, हं (होते हैं)। प्रट्ठारह तक के संख्यावाची शब्दों से परे पाम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर ह और हं होते हैं । (दो, वे-+पाम्)=दोण्ह, दोण्हं, दुण्ह, दुण्हं, वेण्ह, वेण्हं (षष्ठी बहुवचन) (ती- प्राम्)=तिण्ह, तिण्हं (षष्ठी बहुवचन) (चतुर्→चउ+प्राम्)=चउण्ह, चउण्हं (षष्ठी बहुवचन) इसी प्रकार पंचण्ह, पंचण्हं, छण्ह, छण्हं, सत्तण्ह, सत्तण्हं, अट्ठण्ह, अट्ठण्हं, णवण्ह, रणवण्हं, दहण्ह, दहण्हं, दसण्ह, दसण्हं, एयारहण्ह, एयारहण्हं, वारहण्ह, वारहण्हं, तेरहण्ह, तेरहण्हं, च उद्दहण्ह, चउद्दहण्हं, पण र हण्ह, परणरहण्हं, सोलहण्ह, सोलहण्हं, सत्तरहह, सत्तरहण्हं, अट्ठारहण्ह, अट्ठारहण्हं होते हैं ।
125. शेषेऽदन्तवत् 3/124
शेषेऽदन्तवत् [(शेषे)+(प्रदन्तवत्)] शेष (शेष) 7/1 अदन्तवत्-प्रदन्त की तरह शेष (शब्दों) में (रूप) अकारान्त की तरह (चलेंगे)।
अकारान्त शब्दों के अतिरिक्त आकारान्त, इकारान्त, उकारान्त आदि शब्दों के जिस विभक्ति, वचन के प्रत्यय पूर्व सूत्रों में नहीं बताए गए हैं वहां उस विभक्ति व वचन में अकारान्त शब्दों के प्रत्यय लगते हैं । शब्द रूप निम्न प्रकार होंगे
प्रौढ प्राकृत रचना सौरम ]
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