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एत (यह) (पु.)-एतेसि इम (यह) (पु.)-इमेसि अन्म (अन्य) (पु.)- अग्नेसि
(षष्ठी बहुवचन) (षष्ठी बहुवचन) (षष्ठी बहुवचन)
कि तभ्यां डासः 3/62 किं तद्भ्यां डासः । (किं) - (तत्) 5/2} डासः (डास) 1/1 किं→क, तत्-→ से परे (ग्राम के स्थान पर विकल्प से) डास-+प्रास (होता है)। प्रकारान्त पुतिलग सर्वनामों किक और तस्→त से परे प्राम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से डास→पास होता है । किं (पु.)-(क+आम्)=(क+प्रास)=कास (षष्ठी बहुवचन) त (पु)-(त+प्राम्)=(त+प्रास)=तास (षष्ठी बहुवचन)
62. किं यत्तद्भ्योडसः 3/63
किं यत्तद्भ्योङस: [ (यत्)+ (तद्भ्य.)+ (डसः)] [ (किं) - (यत्)-(तत्) 5/3] ङसः (अस्) 6/1 कि →क, यत्→ज, तत्-→त से परे ङस् के स्थान पर (विकल्प से डास→पास होता है)। अकारान्त पुल्लिग सर्वनामों कि+क, यत्→म, तत्-→त से परे इस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से डास+प्रास होता है। क (पु.)-(क+ङस्) = (क+प्रास)=कास (षष्ठी एकवचन) त (पु.)-(त+ ङस्)-(त+मास)-तास (षष्ठी एकवचन) न (पु.)-(ज+इम्)-(+मास) जास (षष्ठी एकवचन)
नोट -हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार किं -का (स्त्री), तत् →ता (स्त्री.) सर्वनाम
में भी षष्ठी के एकवचन में डास-पास की प्रारित वैकल्पिक रूप से होती है।
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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