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59. न वानिदमेतदो हिं 3/60
न वानि दमेतदो हि [ (वा)+(अन्) (इदम्) (एतदः→एततः)+(हिं)] न वा=विकल्प से अन् =नहीं ! (इदम्) - (एतत्) 5/1] हिं (हिं) 1/1 (सर्वनामों में ङि के स्थान पर) विकल्प से हिं (होता है) (किन्तु) इदम्→इम और एतत् एत→एप से परे नहीं। प्रकारान्त पुल्लिग सर्वनामों सर्व→सव्व आदि से परे डि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय)के स्थान पर विकल्प से हिं होता है किन्तु इदम्→इम और एतत्→एत→ एम से परे हिं नहीं होता है । सव्व (पु.)- (सव्व+ङि)=(सव्व+हिं) सव्वहिं (सप्तमी एकवचन) इसी प्रकार त (वह) (पु.)-तहिं
(सप्तमी एकवचन) ज (जो) (पु.)- जहिं
(सप्तमी एकवचन) क (कौन) (पु.)- कहिं
(सप्तमी एकवचन) अन्न (अन्य) (पु.)- अन्नहि
(सप्तमी एकवचन) नोट-हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार किं→का (स्त्री.), यत्→जा (स्त्री.),
तत्-ता (स्त्री) सर्वनाम में भी सप्तमी एकवचन में हिं की प्राप्ति
वैकल्पिक रूप से होती है। 60. प्रामो डेसि 361
प्रामो डॉस [(ग्राम:)+ (डेसि)] प्रामः (आम्) 6/1 डेसि (डेसि) 1/1 (सर्व→सव्व प्रादि सर्वनाम शब्दों से परे) प्राम् के स्थान पर (विकल्प से) डेसि→ऐसि (होता है)। अकारान्त पुल्लिग सर्वनामों सर्व-सव्व प्रादि से परे प्राम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से डेसि-ऐसि होता है। सव्व (पु.)-(सव्व+आम्)== (सव्व+ एसि) = सव्वेसि (षष्ठी बहुवचन) इसी प्रकार त (वह) (पु.) - तेसि
(षष्ठी बहुवचन) ज (जो) (पु.)- जेसि
(षष्ठी बहुवचन) क (कौन) (पु.)-केसि
(षष्ठी बहुवचन)
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ j
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