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41.
कहा (स्त्री.)-(हे कहा+सि)=(हे कहा+ए)=हे कहे (सम्बोधन एकवचन)
(विकल्प होने से मूल भी होगा)
(हे कहा+सि)=(हे कहा+०)=हे कहा (सम्बोधन एकवचन) ईदूतोह स्वः 3/42 ईदूतोढ स्वः [ (ईत्)+ (ऊतोः)+(हृस्व:)] [(ईत्) - (ऊत्) 5/2 ] हुस्वः (हृस्व) 1/1 (प्राकृत में) (आमन्त्रण में) दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त से परे (सि होने पर उसके स्थान पर) हृस्व हो जाता है । आमन्त्रण में दीर्घ इकारान्त-उकारान्त पुल्लिग-स्त्रीलिंग शब्दों में सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर उसके स्थान पर हस्व हो जाता है। गामणी (पु.)-(हे गामणी+सि)=हे गामणि _(सम्बोधन एकवचन) सयंभू (पु.)-(हे सयंभू+सि) = हे सयंभु (सम्बोधन एकवचन) लच्छी (स्त्री.)-(हे लच्छी+सि)=हे लच्छि (सम्बोधन एकवचन) बहू (स्त्री.)-(हे बहू+सि)=हे बहु
(सम्बोधन एकवचन) 42. क्विप:
13/43 क्विपः (क्विप्) 5/1 (प्राकृत में) दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त पुल्लिग शब्दों से परे णा, णो (3/24, 3/22) प्रत्यय जुड़ने पर अन्त्य दीर्घ स्वर हस्व (हो जाता है)। दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त पुल्लिग शब्दों से परे प्रत्यय (णा, णो) जुड़ने पर अन्त्य दीर्घ स्वर हस्व (हो जाता है)। गामणी (पु.) - (गामणी+गा)= (गामणि+णा) =गामणिणा (3/24)
(तृतीया एकवचन) सयंभू (पु.) - (सयंभू---णा)=(सयंमु+णा)= सयंभुरणा (3/24)
____ (तृतीया एकवचन) इसी प्रकार गामणिणो, सयंभुणो होगा (3/22) ।
णी और पू प्रत्यय जिन शब्दों में जुड़ते हैं वे क्विप् प्रत्ययवाले शब्द कहलाते हैं। जैसे-गामणी और खलपू । इनमें फिर विभक्तिबोधक प्रत्यय लग जाते हैं । इस प्रकार यह सूत्र सभी दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त शब्दों पर लागू किया जा सकता है।
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरम
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