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राय से परे विकल्प से होता है ।
राय / राम (पु.) - ( राय + सि) = राया
(प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) होने पर अ के स्थान पर श्रा
1. राजन् राज 1 / 11 अन्त्यव्यञ्जनस्य ( लुक् ) 1 / 11, 1 / 10 राजरान 1/177 क -ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक् 1 / 177
रान→राय 1/180 प्रवर्णो य श्रुति 1 / 180
49. जस् - शस् - ङसि - ङसांणो
3/50
जस् - शस् - ङसिङसांगो ( (ङसाम्) + (णो ) ]
[ ( जस्) - (शस् ) - ( ङसि ) - ( ङस् ) 6/3] णो (गो) 1/1
( प्राकृत में ) ( राज राय से परे ) जस्, शस्, ङसि और ङस् के स्थान पर णो ( विकल्प से) (होता है ) |
राज राय से परे जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय), शस् ( द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय), ङसि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) और ङस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय ) के स्थान पर गो विकल्प से होता है ।
राज राय - ( राज + जस् )
(प्रथमा एकवचन )
( राज + णो )
सूत्र 3 / 52 (इर्जस्य गो-गा - ङौ) से ज के स्थान पर विकल्प से हो जाता है ।
.. ( राज + णो ) = ( राइ + णो ) == राइणो
(प्रथमा बहुवचन)
( राज + शस् ) == ( राइ + णो ) = राइणो
(द्वितीया बहुवचन)
( राज + ङसि ) = ( राइ + णो )
राइणो
(पंचमी एकवचन )
( राज + ङस् ) = ( राइ + णो) = राइणो
(षष्ठी एकवचन)
सूत्र 3/55 ( श्राजस्य टा - ङसि - ङस्सु सणारगोष्वण् ) से राज में निहित प्राज के स्थान पर भ्रण हो जाता है ।
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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=
.. ( राज + ङसि ) = ( राज + णो ) = ( र ण् + णो ) = रण्लो
1
(राज + ङस् ) = (राज + जो ) = (रण् + णो) = रण्णो
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(पंचमी एकवचन )
( षष्ठी एकवचन )
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