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राज से परे गो, णा और हि (सप्तमी एकवचन का प्रत्यय) होने पर बिकल्प से से इ हो जाता है । इस सूत्र का उपयोग 3/50 और 3/51 में आंशिक हो गया है । शेष निम्नलिखित है - राज-(राज+ङि) =(राइ+ङि)
सूत्र डे म्मि : 3/11 और सूत्र डे : के आधार से यहां ङि=म्मि होगा। .:. (राइ+ङि) = (राइ+म्मि) = राइम्मि
(सप्तमी एकवचन)
52. इणममामा 3/53
इणममामा [ (इणं)+ (प्रमा)+(मामा)] इणं (इणं) 1/1 प्रमा (अम्) 3/1 मामा (आम) 3/1 (प्राकृत में) (राज से परे) अम् और पाम् सहित (ज के स्थान पर) इणं (विकल्प से) (होता है)। राज से परे अम् (द्वितीया एकवचन के प्रत्यय) और माम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) सहित ज के स्थान पर इरणं विकल्प से होता है । राज-(राज + अम्)=राइणं
- (द्वितीया एकवचन) (राज+पाम्)=राइणं
(षष्ठी बहुवचन)
53. ईस्भ्यिसाम्सुपि 3/54
ईद्भिस्भ्यसाम्सुपि [(ईद्→ईत्)+ (मिस्)+(भ्यस्)+ (प्राम्) + (सुपि)] ईत् (ईत्) 1/1 [(मिस्) - (भ्यस्) - (प्राम्) -(सुप्) 7/1] (प्राकृत में) (राज से परे)भिस्, भ्यस्, माम् और सुप् होने पर (ज के स्थान पर) ईत्-→ई (विकल्प से) (हो जाता है)। राज से परे भिस् (तृतीया बहुवचन का प्रत्यय),भ्यस् (पंचमी बहुवचन का प्रत्यय), माम् (षष्ठी बहुवचन का प्रत्यय) और सुप् (सप्तमी बहुवचन का प्रत्यय) होने पर ज के स्थान पर ई विकल्प से हो जाता है ।
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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