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7. ङसेस् तो- दो-दु-हि- हिन्तो-लुक :
3/8
ङसेस् तो-दो -दु-हि- हिन्तो - लुक. [ (ङसे ) + (तो) - (दो) - (दु - (हि) - ( हिन्तो ) - ( लुक :) ) ङसे: (ङसि) 6/1 [ (तो) - (दो) - (दु) - (हि) - ( हिन्तो) - ( लुक् ) 1 / 3] ( प्राकृत में ) ङसि के स्थान पर तो, दोश्रो, दुउ, हि, हिन्तो और लोप (होते हैं) ।
अकारान्त पुल्लिंग शब्दों में ङसि (पंचमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर तो, श्रो, उ, हि, हिन्तो और ० होते हैं ।
देव (पु) -- (देव + ङसि ) = (देव + तो, प्रो, उ, हि, हिन्तो और ० )
8. भ्यसस् तो दो दु हि हिन्तो सुन्तो
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भ्यस् तो दो दुहि हिन्तो सुन्तो [ ( भ्यस :) + (तो) ] दो दुहि हिन्तो सुन्तो F: (a) 6/1 at (at) 1/1 at (a) 1/1 g (g) 1/1 fg (fg) 1/1 हिन्तो ( हिन्तो) 1 / 1 सुन्तो ( सुन्तो) 1 / 1
9.
( प्राकृत में ) भ्यस् के स्थान पर तो, दोश्रो, दुउ, हि, हिन्तो और सुन्तो (होते हैं) ।
अकारान्त पुल्लिंग शब्दों में भ्यस् (पंचमी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर तो, श्रो, उ, हि, हिन्तों और सुन्तो होते हैं ।
देव (पु) - (देव + भ्यस् ) = (देव + त्तो, प्रो, उ, हि, हिन्तो, सुन्तो)
ङसः स्सः
3/10
इस: ( ङस् ) 6/1 स्स: ( स ) 1 / 1
( प्राकृत में ) ङस् के स्थान पर स्स (होता है) ।
अकारान्त पुल्लिंग शब्दों में ङस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर स होता है ।
देव (पु.) - (देव + ङस् ) = (देव + स्स) देवस्स (षष्ठी एकवचन )
प्रौढ प्राकृत रचना मौरम ]
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