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कहने वाला मिथ्याभाषी है।
इसी प्रकार अपने पूज्य आदि के चित्र को किसी दुराचारी स्त्री के साथ रखकर उस पर से कुचेष्टा वाला चित्र लेकर कोई नालायक व्यक्ति स्थान-स्थान पर उसकी अपकीर्ति करे तो इससे मूर्ति को नहीं मानने वालों को भी क्या क्रोध नहीं आएगा? अवश्य आएगा। अर्थात् स्थापनानिक्षेप व्यर्थ है, ऐसा कहना अनुचित है।
नाम और स्थापना की भाँति ही अपने पूज्य आदि की पूर्वापर अवस्था की बुराई या भलाई सुनने से क्रोध या आनन्द पैदा होता है और पूज्य के लिए साक्षात् अपकीर्ति और अपशब्द सुनने पर भी इनके चाहने वालों को अवश्य दुःख होता है तथा प्रशंसा सुनने पर सुख की प्राप्ति होती है। इससे स्पष्ट है कि चारों निक्षेपों में भिन्न-भिन्न प्रभाव पैदा करने की शक्ति प्रकट रूप से रही हुई है।
1. नाम निक्षेप किसी भी वस्तु के सांकेतिक नाम के उच्चारण से उस वस्तु का बोध कराना प्रथम नाम निक्षेप का विषय है। श्री ऋषभादिक चौबीस तीर्थंकरों के नाम, उनके माता-पिता ने जन्म-समय पर रखे होते है। इसमें कारण, उनके गुण नहीं किन्तु केवल पहिचानने का संकेत है। नाम रखने में यदि गुण ही कारण होता तो सभी तीर्थंकर समन गुणवाले होने के कारण सभी का एक ही नाम रखना चाहिए था।
समान गुण वालों के भिन्न नाम तो तभी हो सकते हैं जब नाम रखते समय गुण की अपेक्षा आकार आदि की भिन्नता पर भी लक्ष्य दिया जाए। चौबीस तीर्थंकरों के गुण समान होते हुए भी प्रत्येक के आकार, पूर्वापर अवस्था आदि में भिन्नता थी। उसी प्रकार एक ही नाम की जहाँ अनेक वस्तुएँ होती है, वहाँ भी नाम द्वारा जिस वस्तु विशेष का बोध होता है, उसका कारण भी उस वस्तु में रहने वाली गुण, आकार आदि की भिन्नता है। जैसे 'हरि' दो अक्षर का नाम है परन्तु उससे अनेक वस्तुओं का संकेत होता है। ‘हरि' शब्द कहते ही 'कृष्ण, सूर्य, बन्दर, सिंह और घोड़ा' आदि अनेक अर्थों का बोध होना शक्य होने पर भी ऐसा नहीं होकर केवल कृष्ण का ही बोध होता है। इसका कारण उस शब्द को बोलने वाले का अभिप्राय कृष्ण ही कहने का है। इसी प्रकार सूर्य के ध्येय से 'हरि' शब्द बोलने से केवल सूर्य का ज्ञान होता है पर कृष्णादि अन्य वस्तुओं का ज्ञान नहीं होता।
इससे सिद्ध होता है कि अनेक संकेत वाले एक नाम में भिन्न-भिन्न संकेतों को बोध कराने की जो शक्ति है, उसका कारण अकेला नाम निक्षेप नहीं, पर उन नामों के साथ अन्य सभी निक्षेपों का होने वाला बोध है।
दूसरा उदाहरण 'कोट' शब्द का लेते हैं। कोट' शब्द से पहिनने का वस्त्र तथा नगर