Book Title: Pratima Poojan
Author(s): Bhadrankarvijay, Ratnasenvijay
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 198
________________ पडिकमणे मुनि दान विहारे, हिंसा दोष विशेष; लाभालाभ विचारी जोतां, प्रतिमामां स्यो द्वेष रे? gufa! .12 टीका चूर्णि भाष्य उवेख्यां, ऊवेखी निर्युक्ति; प्रतिमा कारण सूत्र उवेख्यां, दूर रही तुझ मुगति रे ! कुमति ! 13 शुद्ध परम्परा चाली आवी, प्रतिमा- वन्दन वाणी; संमूर्च्छम जे ए मूढ़ न माने, तेह अदीठ कल्याण रे ! grufa! .14 जिन प्रतिमा जिन सरिखी जाणे, पंचांगीना जाण; कवि जसविजय कहे ने गिरुआ, कीजे तास बखाण रे ! कुमति ! 15 श्री जिनप्रतिमा स्थापन (श्री शान्तिनाथ भगवान का स्तवन ) शान्तिजिनेश्वर साहेब बंदो, अनुभव रस नो कंदो रे, मुखने मटके लोचन लटके, मोह्या सुरनर वृंदो रे, शांति. 1 मंजर देखी ने कोयल टौके, मेघ घटा जेम मोरो रे, तेम जिनप्रतिमा निरखी हरखं, वली जेम चंद चकोर रे, शांति० 2 जिन प्रतिमा जिनवर भाखी, सूत्र घणां छे साखी रे, सुरनर मुनिवर वंदन पूजा, करता शिव अभिलाषि रे, शांति० 3 191

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