Book Title: Pratima Poojan
Author(s): Bhadrankarvijay, Ratnasenvijay
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 202
________________ पाताल-लोक में रहे हए, भूतल में रहे हुए तथा स्वर्ग लोक में रहे हुए .श्री जिन बिम्बों को मैं निरन्तर वन्दन करता हूँ। जिने भक्तिनिने भक्ति-र्जिने भक्तिर्दिने-दिने। . सदा मेऽस्तु सदा मेऽस्तु, सदा मेऽस्तु भवे-भवे ।।2।। भगवान श्री जिनेश्वरदेवों के प्रति भवोभव में सदा के लिए नित्य प्रति मुझे भक्ति प्राप्त होवे। UP 1951

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