Book Title: Pratima Poojan
Author(s): Bhadrankarvijay, Ratnasenvijay
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 199
________________ रायपसेणी प्रतिमा पूजी, सूरियाभसमकितधारी रे, जीवाभिगने प्रतिमा पूजी, विजयदेव अधिकारी रे, शांति. 4 जिनवर बिंब विना नवि वंदु, आणंदजी एम बोले रे, सातमे अंगे समकित मूले, अवर नहि तस तोले रे, शांति. 5 ज्ञातासूत्रे द्रौपदी पूजा, करती शिवसुख मांगे रे, राय सिद्धारथे प्रतिमा पूजी, कल्पसूत्र मांहे रागे रे, शांति. 6 विद्याचारण मुनिवरे वंदी, प्रतिमा पांचमे अंगे रे, गंधाचारण मुनिवरे वंदी, जिनप्रतिमा मन रंगे रे, शांति.7 आर्यसुहस्ति सूरि उपदेशे, चावो संप्रतिराय रे, सवा क्रोडि जिनबिंब भराव्यां, धन्य धन्य एहनी माय रे, शांति.8 मोकली प्रतिमा अभयकुमारे देखी आर्दकुमार रे, जातिस्मरणे समकित पामी, वरीओ शिवसुख सार रे, शांति. १ इत्यादिक बहु पाठ कहा छ, सूत्र माहे सुखकारी रे, सूत्र तणो एक वर्ण उत्थापे, ते को बहुल संसारी रे, . शांति. 10 ते माटे जिन आणा धारी, कुमति कदाग्रह वारी रे, भक्ति तणां फल उतराध्ययने, बोधि बीज सुखकारी रे, शांति. 11 - -[192

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