Book Title: Prapanchasara Sangraha
Author(s): Giryanendra Saraswati
Publisher: Giryanendra Saraswati

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Page 668
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्रसं-लांकविनाशहेतंलुरादिषनौमिएतादृहासम्॥ ॐनमोभगवतेज्यभैरवायसर्वविघ्ननाशापठठखाहा॥ चतर्विर ११३ सहस्रजपः।अनलभवनमध्येशक्तिबीजंफर्णहरिहरजयहफाष्ट कोगेससाध्यम्॥बहिरपिचसपमूल) मित्रंत्रिवर्णान्॥भवमयलिपिवीतंभैरवंवैरिवजम्॥अस्पार्थःपथमंत्रिकोणतन्मध्येहीफलितितदहिरएको णितकोणेषहरिहरजयहफरि तिलिखित सहहिरष्टदलेषमलमचंत्रिवर्ण तहहिचतुरसमादकयावेषभैरबंवा ॥न्हिकोणेयेत्॥अष्टकोणेष भैरव्यैःअपोरायगणेशाय-कंदायविष्णवे दक्षिणामूर्तयः चंडोइंगणेशाय | पदभारणाय यथाक्रममार्चयेत्॥दलातेभष्टभैरवा पूज्यादानरांतकाय-भीमाय विजयामरकभैरवाय इतिष तीच्यादिदि खर्च येदिति भैरवपूजाविधिः असिभैरवमन्त्रः। शंकरऋषिःलतिथंदा सिद्धभैरखादेवता भिबीजंत्रीशक्तिमोहने विनियोगध माहापित्यादिषडंगानिकरन्यास ॥प्यानम्॥जलपटल नीलंदीप्यमानो ॥ शकेरात्रिशिरक्जमहतंचंटलेखावतंसं॥विमलपनिरूचित्रशालवासंक्जियमनिशमीजेविक मोहंउच। जमानमोभगवतेविनयभैरवायप्रसमानकायमहाभैरव्यैमहाभैरवायसर्वविघनिवारणामशक्तिपण्यच राम कपाणयेपटमूलपाणिपण्णायअखिलगणनायकायआप सारणामाकर्पयर भावेशपर मोहरमामय२॥३४ For Private And Personal

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