Book Title: Prabhanjan Charitra
Author(s): Ghanshyamdas Jain
Publisher: Mulchand Jain

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Page 6
________________ पढ़नेकी तरफ नहीं है। यह देखकर हमने लोगोंकी रुचिके अनुसार ही इस पुस्तकका हिन्दी अनुवाद कर प्रकाशित किया है; और हमें आशा है कि यद्यपि इस पुस्तककी हिन्दी बहुत अच्छी या यों कहिए कि पाठकोंकी रुचिके माफक नहीं है पर इसकी कथा बहुत रोचक है इसलिए हमारे पाठक इसे एकवार अवश्य पढ़ेंगे और हमारे उत्साहको बढ़ावेंगे। . भादौ वदी २ ॥ घनश्यामदास जैन. :: सं० १९७३ ) W

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