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प्रभंजन-चरित। यह उपदेश प्राप्त किया कि जो स्त्री निशंक हो अपने बच्चको मारकर तथा मंत्रसे उसे मंत्रितकर खा लेती है, वह उसी समय आकाशमें चलने लग जाती है। जब श्रीदेवीके भाईने सुना कि श्रीदेवीके बालबच्चा होनेवाला है तब वह उसे लिबानको राजगृह गया, और वहाँसे लिबाकर उसे मदनवेगा सखीके साथ २ लिये आ रहा था । मार्गमें विंध्याचल पर्वतके बीचमें उसने पुत्रको जन्म दिया और वह उसे मारकर खाकर सहसा आकाशमें चली गई । पालने उसका साराका सारा वृत्त जान लिया। वह बहुत दुःखी होता हुआ घर आया, और वहाँ उसने श्रीदेवीका सारा हाल माताको कह सुनाया। अपनी पुत्रीके चरितको जानकर क्रुद्ध हुई माता भी सामने खड़े हुए पुत्रसे बोली कि पुत्रके स्नेहसे रहिता, मलिन परिणामोंवाली वह दुष्टा संसारमें दुर्लभ ऐसे उपदेशको मुझे विना दिये ही चली गई । माताके ऐसे वचनोंको सुन, पालको बहुत शोक हुआ । वे बहुत भयभीत होकर पिताके पाप्त गये और उनसे साराका सारा वृत्तान्त कह दिया । वे कहने लगे कि मेरी माता तो राक्षसीके सदृश है और बहिन साक्षात् राक्षसी ही है। इस लिये हे तात ! उठो, यहाँसे चलें; इस जगह भारी दारुण भय है। बादमें संसारसे भयभीत हुए वे दोनों घरसे वनको चले गये । वहाँ वे महेन्द्र नामक मुनिको नमस्कार कर उनसे दीक्षा ले मुनि हो गये। इस प्रकार अपराजित और पालका कथानक पूरा हुआ ।
- हे राजाओंमें श्रेष्ठ राजन् ! अब संसारसे उद्वेगको पैदा करनेवाले वज्रायुधके कथानकको सावधान होकर सुनो । इसी भरतक्षेत्रमें विशाला ( उज्जैनी) नामकी एक नगरी है। इस नगरीके राजा