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जैनग्रंथकार्यालय, ललितपुर (झाँसी)
की बिल्कुल नवीन पुस्तकें |
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( १ ) श्री गिरनार माहात्म्य ( विधान ) श्रीगिरनार पर्वत परम पूजनीय सिद्ध क्षेत्र है, इसको जैनी मात्र अच्छी तरह जानते हैं । और इस की यात्रा करके अपना जन्म सफल करते है । परंतु अबतक इस बात की बड़ी त्रुटि थी कि ऐसे परम पूजनीय क्षेत्र की कोई उत्तम पूजा नहीं मिलती थी । जिससे जैसे भाव लगने चाहिये नहीं लगते थे। लेकिन आज बड़े हर्षके साथ जाहिर किया जाता है कि उक्त क्षेत्रका पूजन ( विधान) छपकर तयार हो गया है । पुस्तक इतनी भक्ति पूर्ण है कि जिसको पढ़ते पढ़ते रोमांच हो आता है । कर्ता ने इस में जिनेन्द्र गुणों के वर्णन करने के साथ वैराग्य और जैन सिद्धान्त का भी खूब रहस्य दिया है । कविता ऐसी मनोहारिणी है कि पढ़ते २ तबियत नहीं हटती । कागज बहुत अच्छा लगाया गया है, जिल्द बंध पुस्तक है, न्योछावार मात्र |) आने रखे हैं, जिस से हर एक कोई मंगा सके । प्रत्येक जैनी भाई को एक २ प्रति मंगाकर प्रति दिन अपने २ स्थान पर पूजन कर पुण्यबंध करना चाहिये ।
[ २ ] धनंजय नाममाला कोश ।
यह कोश भी मानतुंगाचार्य के शिष्यवर श्रेष्टि श्री धनंजयजी कृत है । इस में एक शब्द के अनेक अर्थ बतलाये गये हैं, बड़ा उपयोगी ग्रंथ है, प्रत्येक जैन शालाओं में पढ़ाने योग्य हैं। जो बालक इस ग्रंथ को कंठ कर लेता है, उसको संस्कृत के श्लोकों का अर्थ