Book Title: Paschattap Author(s): Gunratnasuri Publisher: Jingun Aradhak Trust View full book textPage 6
________________ Voyoyoyoyoyoy "भव आलोचना" की पुस्तक मैंने पढ़ ली है। पढ़ने वाले को प्रेरणा जगा सकती है। श्रीसंघ को ऐसा साहित्य देना अत्यावश्यक है। - प.पू. स्व. गच्छाधिपतिश्री आचार्यदेव श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. प. पू. आचार्यदेवश्री के अभिप्राय ज्ञानी भगवंतोने प्रायश्चित का बहुत महत्त्व बताया है। यह पुस्तक "कहीं मुरझा न जाए" वर्तमान युग में बढ़ रहे पापों के सामने रेड सिग्नल दिखाने का काम कर सकती है। - प.पू. आ. हेमप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आचार्यश्री शास्त्र के ज्ञाता, सावधानी वाले व परिश्रमी है। इसलिये यह पुस्तक व्यवस्थित सुंदर और शास्त्रीय है, इसमें कोई प्रश्न नहीं है। आप ऐसे कार्यों के द्वारा शासन सेवा और भविष्य की आराधना की उत्तम भूमिका का सर्जन कर रहे हैं। वह अनुमोदनीय है। -पू. सुविशाल गच्छाधिपतिश्री आचार्यदेवश्री जयघोषसूरीश्वरजी म.सा. प.पू.आ. गुणरत्नसूरीश्वरजी म.सा. की पुस्तकें आज की शिक्षित पीढ़ी के लिये लाभदायी है। -- पू.आ. प्रभाकरसूरीश्वरजी म.सा. "कहीं मुरझा न जाए"..... वैभवी दुनिया में गुमराह जीवों को आध्यात्मिक वांचन चिंतन सुपथदर्शक बनता है। आपश्री के चिन्तन, लेखन अत्यन्त प्रशंसनीय है। वर्षों के परिशीलन, चिंतन, मनन द्वारा तैयार हुई यह पुस्तक दुनिया की अभिनव अजायबी को टक्कर दे कर आध्यात्मिक विकास में प्रगति कर दे, ऐसे अद्भुत सर्जनात्मक सूचन सहज मिलते हैं। ऐसे साहित्य का सर्जन, प्रचार-प्रसार अत्यावश्यक है। __- आचार्यदेवश्री विद्यानंदसूरीश्वरजी म.सा.Page Navigation
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