Book Title: Parshvabhyudayam
Author(s): Jinsenacharya, Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 243
________________ २४२ पार्श्वभ्युदय अन्यय-यत्र सौन्दर्यस्य प्रथमकलिका स्त्रीमयों अन्यां सृष्टि व्यातन्वानाः जिगीषोः मीनकेतोः जयकदलिकाः अमरप्रार्थिताः कन्याः कनकमिकतामुष्टिनिक्षेपगूढ़ः अन्वेष्टपः मणिभिः सङ्कीर्णन्ते । __ अर्म-जिस अलकापुरी में सौन्दर्य की अद्वितीयकली स्त्री रूप अपूर्व सृष्टि को प्रकट करते हुए, जीतने के इच्छुक कामदेव की जयपताकार्ने, देवताओं से प्रार्थित यक्ष कन्यायें स्वर्णमय बालुकाओं की मुट्टियों के निक्षेप ( फेंकने ) से गढ़ ( ढंके या छिपे ) होने के कारण दंढ़ने योग्य मणियों से शोझ करती हैं। भावार्थ-पहले मणियों पर कई मुद्री भर बालू फेंक दी जाती थी, जिससे वे बैंक जाती थीं। तब उनको खोजा जाता था। इस प्रकार वे गुप्तमणि नामक कोड़ा किया करती थीं। इष्टान्कामानुपनयति यः प्राक्तनं पुण्यपाकं, तं शंसन्ति स्फुटमनुचरा राजराजस्य तुप्ताः । अक्षय्यान्तर्भवननिषयः प्रत्यहं रक्तकण्ठैरुगायर्यावर्धनपतियशः किन्नरैर्यत्र सार्धम् ॥४॥ इष्टानिति । मत्र अलकायाम् । अक्षय्यातर्भवननिषयः भवनस्यान्तरन्तभवन अक्षम्याः क्षयरहिता. अन्तर्भवननिधयो येषां ते तथोक्ताः । यथेष्टभोग सम्भावनार्थमिदं विशेषणम् । प्रत्यहं प्रतिदिनम् । सप्ताः सर्वविषय सन्तप्ताः। राजराजस्य ऐलविलस्य । अनुचराः भृत्याः । "भृत्योनुजीव्यनुचरः" इति धनञ्जयः । धनपतियवाः एकपिङ्गस्य कीर्तिम् । जदगार्यान्द्रः उच्चैर्गामतिः । देवगानस्य गान्धारग्रामस्वात्तारतरं गायद्भिरित्यर्थः । रक्तकण्ठे रक्तो मधुरः कण्ठधनिर्येषां तैः । किन्नरैः देवविशेषैः । साधं सत्रा । "सायं तु साकं सत्रा सम सह' इत्यमरः । यः पुण्यपाक.। इष्टान् अभीष्टान् । कामान् कामभोगान् । जपनपत्ति प्रापमति । प्राक्तन प्रारभवम् । पुण्यपाकं सुकृतपरिपाकम् । स्मुद प्रस्फुटम् । शंसन्ति स्तुवन्ति ।। ४॥ ___अन्वय-यत्र' अक्षय्यान्तर्भवनिधयः तृप्ताः राबराजस्प अनुचरा: रक्तकण्ठ: धनपतियशः उद्गाद्भिः किन्नरैः नार्धं यः इष्टान् कामान् उपनपति तं प्राक्तनं पुण्यारा स्फुट शंसन्ति । अर्थ--जिस अलका नगरी में भवन के भीतर अक्षयनिधियों से सम्पन्न, सन्तोषयुक्त कुबेर के सेवक मधुर स्वर से कुबेर के यश को ऊँचे स्वर से गाते हुए किन्नरों के साथ जो इष्ट कामयोग प्राप्त कराता है उस पूर्व जन्म में उत्पन्न पुण्य के फल की स्पष्ट रूप से प्रशंसा करते हैं।

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