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चौथा सर्ग
पूजन समाप्ति पर कोई
जप माल उन्हें दे देती
कोई स्वाध्याय पुराण
तत्काल उन्हें दे देती
फिर,
थी ।
उठा,
थी ॥
भोजन शाला
में,
कोई रह पावन पकवान पकाती थी ।
ताम्बूल वाहिनी बन
कोई,
मधुरिम ताम्बूल लगाती
थी ॥
कोई उनको
पहुँचाने को,
विश्राम कक्ष तक चलती थी ।
कोई उनके
विश्राम - समय
में बैठी पंखा
फलती थी ॥
कोई
गृह —— पुष्प - वाटिका में भ्रमणार्थ उन्हें ले जाती थी । श्र' निशारम्भ में ही
कोई,
उनका शयनाङ्क बिछाती थी ।
कोई अपनी संगीत के द्वारा उन्हें रिझाती कोई निद्रा श्रा जाने उनके पद युगल दबाती थी ॥
तक
कला-
थी ।
સ્