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नवौं सर्ग
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इस घटना द्वारा हुवा सभीको उनके बल का निश्चय था । सब समझ गये उन 'महावीर' - का हृदय पूर्णतः निर्भय था ।
था समय अधिक हो चुका श्रतःसब नगरी को स्वच्छन्द चले । थी 'वीर' कृपा से विपद् टली, अतएव सभी निन्द चले ।
मित्रों ने कर दी प्रकट नृपति-- से वह सब घटना जाते ही। नृप ने भी सुत--पुरुषार्थ सुना, छाती से उन्हें लगाते ही ॥
यह बात नगर में फैल गयी, जनता उनका बल जान गयी। वह 'वीर' समझती थी अब तक, पर 'महावीर' अब मान गयी ॥
वे इसी नाम से ख्यात हुये, घटना का यह परिणाम हुवा । जनता को उनके सब नामोंसे बढ़ कर प्रिय यह नाम हुवा ।।