Book Title: Param Jyoti Mahavir
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Fulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore

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Page 364
________________ परम ज्योति महावीर राढ़- मुर्शिदाबाद के आस पास का पश्चिमी बंगाल पहिले राढ़ कहलाता था जिसकी राजधानी कोटी वर्ष नगर था । जैन सूत्रों में रादः की गणना साढ़े पच्चीस आर्य देशों में की गयी है।। कयलिग्राम- कयलि समागम मगध के दक्षिण प्रदेश मलय भूमि में कहीं होगा। जम्ब संड-यह ग्राम मलय देश में अथवा दक्षिण मगध में कहीं रहा होगा। तंबाय (ताम्राक)-यह सन्निवेश संभवतः मगध में कहीं था। कूपिय (कूपिको यह सन्निवेश वैशाली से पूर्व में विदेह भूमि में कहीं था। वैशाली-मुजफ्फर पुर जिला में जहाँ आज बसाढ़ पट्टी ग्राम है, वहीं पहिले महावीर के समय की विदेह देश की राजधानी वैशाली नगरी थी, यह जैन धर्म के केन्द्रों में से एक थी। यह चम्पा से वायव्य दिशा में साढ़े बारह मील और राजगृह से लगभग उत्तर में ७० मील की दूरी पर थी। ग्रामाक-यह सन्निवेश वैशाली और शालिशीर्ष नगर के बीच में, पड़ता था। शालिशीर्ष-ह स्थान वैशाली और भद्रिका के बीच में कहीं था । संभवतः अंगभूमि की वायव्य सीमा पर रहा होगा। भद्दिया--भागलपुर से दक्षिण में अाठ मील पर अवस्थित भदरिया स्थान ही प्राचीन महिया अथवा भद्रिका नगरी होना चाहिये । यह अंग देश की एक प्रसिद्ध तत्कालीन नगरी थी।

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