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परम ज्योति महावीर
सुमंगला-यह ग्राम कहाँ था। यह बताना कठिन है। संभव है यह स्थान अङ्ग भूमि में कहीं रहा होगा |
पालक-यह ग्राम चम्पा के निकट कौशाम्बी की दिशा में था। - जंभियग्राम-इसकी वर्तमान अवस्थिति पर विद्वानों का ऐकमत्य नहीं है । कवि परम्परा के अनुसार सम्मेद शिखर के दक्षिण में बारह कोस पर जो जंभी गाँव है वही प्राचीन जंभिय ग्राम है। कोई सम्भेद शिखर से दक्षिण पूर्व लगभग पचास मील पर आजीनदी के पास वाले जय ग्राम को प्राचीन जंभिय ग्राम बताते हैं ।
मिढिय-यह ग्राम अङ्ग जनपद में चम्पा से मध्यमा पावा जाते हुये मार्ग में पड़ता था।
छम्माणि- यह ग्राम मध्यमा पावा के निकट चम्पा नगरी के मार्ग पर कहीं था।
मध्यमा-पावा मध्यमा का कहीं कहीं इस नाम से भी उल्लेख है। यह मगध जनपद में थी, अाज भी यह विहार नगर से तीन कोस पर दक्षिण में है, जैनों का तीर्थ क्षेत्र बना हुआ है।
ऋजुकूला-हजारी बाग जिला में गिरीडीह के पास बहने वाली बाराकड़ नदी को ऋजुकूला ऋजुपालिका अथवा रिजुवालका कहते हैं । विहार वर्णन से ज्ञात होता है कि जंभिय ग्राम और ऋजुकूला नदी मध्यमा के रास्ते में चम्पा के निकट ही कहीं होना चाहिये ।
बीसवाँ सर्ग विपुलाचल-राजगृह के पाँच पहाड़ों में से एक का नाम विपुल.