Book Title: Param Jyoti Mahavir
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Fulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore

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Page 367
________________ विहार स्थल नाम कोष ६५१ व्रज ग्राम- इसका दूसरा नाम गोकुल था । यह गोकुल उड़ीसा में या दक्षिण कोसल में होना संभव है । कौशाम्बी - इलाहाबाद जिले के मानजहानपुर तहसील में यमुना नदी के वांये किनारे पर जहानपुर से दक्षिण में १२ मील और इलाहाबाद से दक्षिण पश्चिम में इकतोस मील पर कोसम इनाम और कोसम खिराज नामक दो ग्राम हैं। ये ही प्राचीन कौशाम्बी के अवशेष हैं । वाराणसी -- का अपभ्रंश बनारस है, पहिले यहाँ वरणा तथा असि नदी के संगम पर बसी हुई वाराणसी नाम की एक प्रसिद्ध नगरी थी जो काशी राष्ट्र की राजधानी थी। भगवान महावीर के मुख्य क्षेत्रों में से यह भी एक थी । मिथिला - शब्द से इस नाम की नगरी और इसके आस पास का प्रदेश दोनों अर्थ प्रकट करते हैं, यह एक समृद्ध नगरी थी। सीता मढ़ी के पास महिला नामक स्थान ही प्राचीन मिथिला का अपभ्रंश है । वैशाली से मिथिला उत्तर पूर्व में ४८ मील पर अवस्थित थी । सत्रहवाँ सर्ग सूसुमार - मिर्जापुर जिला में वर्तमान चुनार के निकट एक पहाड़ी नगर था, कई विद्वान् सूसुमार को भर्ग देश की राजधानी बताते हैं । भोगपुर - भोगपुर का नाम सूसुमार है और नन्दी ग्राम के बीच में आता है, संभवतः यह स्थान कौशल भूमि में था । मेंढिय गाँव - यह ग्राम श्रावस्ती के निकट कौशाम्बी के मार्ग में था ।

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